छत्तीसगढ़ के CM साय बोले- नक्सलवाद का होगा खात्मा, बस्तर बनेगा सबसे विकसित क्षेत्र

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

रविवार, 4 मई 2025 (21:09 IST)
Chhattisgarh News : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रविवार को भविष्यवाणी की कि नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र अगले 10 वर्षों में छत्तीसगढ़ के मुकुट का मणि होगा और यह पर्यटन केंद्र तथा प्रदेश का सबसे विकसित क्षेत्र बन जाएगा। उन्होंने कहा कि बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ चल रही मुहिम रंग ला रही है और विश्वास जताया कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा तय की गई समयसीमा मार्च 2026 तक इस समस्या का खत्म कर दिया जाएगा। साय ने कहा कि सभी राज्यों के सुरक्षा बलों ने मिलकर संयुक्त कार्य बल बनाया है जो नक्सलियों पर लगाम कसने के लिए मिलकर काम कर रहा है।
 
बस्तर पूर्व में एक अलग जिला था लेकिन अब यह दक्षिणी छत्तीसगढ़ के सात जिलों का एक संभाग है, जिसकी सीमाएं तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र से लगी हैं। साय ने कहा कि सभी राज्यों के सुरक्षा बलों ने मिलकर संयुक्त कार्य बल बनाया है जो नक्सलियों पर लगाम कसने के लिए मिलकर काम कर रहा है।
 
साय 16 महीने पुरानी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंसा करने वालों पर कठोरता और मुख्यधारा में आने वालों को प्रोत्साहन देने की नीति के साथ सरकार नक्सलवाद का सफाया करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सल के सफाए के बाद सरकार लघु वनोपज प्रसंस्करण उद्योगों, पशुपालन और पर्यटन के विकास के माध्यम से संसाधन संपन्न क्षेत्र के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी।
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बस्तर एक हराभरा वन क्षेत्र है, जो चित्रकोट जलप्रपात के लिए प्रसिद्ध है, जिसे देश का सबसे सुंदर और चौड़ा जलप्रपात कहा जाता है। इसे अक्सर एशिया का नियाग्रा कहा जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर के अधिकांश हिस्से नक्सलियों से मुक्त हैं, नक्सली केवल सीमावर्ती क्षेत्रों में केंद्रित हैं, लेकिन इसकी वजह से पूरे राज्य की छवि खराब है।
 
साय ने हालांकि स्पष्ट किया कि बस्तर क्षेत्र में कोई जबरन औद्योगिकीकरण नहीं किया जाएगा और यह कार्य स्थानीय लोगों से परामर्श करने और उन्हें विश्वास में लेने के बाद किया जाएगा। उन्होंने कहा, नक्सलवाद छत्तीसगढ़ पर एक धब्बा है और एक बार यह मिट जाए तो राज्य की सुंदरता उभर कर सामने आएगी। यह राज्य जंगलों, झरनों, गुफाओं तथा खनिज संसाधनों के मामले में समृद्ध है। यहां लौह अयस्क, बॉक्साइट, कोयला, टिन, सोना और लिथियम के भंडार हैं।
 
छत्तीसगढ़ में अपने 15 साल के लंबे शासन (2003 से 2018 तक रमन सिंह के नेतृत्व में) के दौरान, तत्कालीन भाजपा सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी, एक ऐसी लड़ाई जो केंद्र सरकार के पूर्ण समर्थन के साथ साय सरकार में तेज हो गई है। गृहमंत्री शाह ने मार्च 2026 तक नक्सवाद को देश से खत्म करने का संकल्प लिया है।
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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता साय ने कहा, हमें विश्वास है कि गृहमंत्री का संकल्प पूरा होगा और बस्तर में शांति कायम होगी। साय चार बार सांसद रह चुके हैं और 2014 से 2019 तक पहली मोदी सरकार में उन्होंने केंद्रीय राज्यमंत्री की भी जिम्मेदारी निभाई थी।
 
उन्होंने कहा कि नक्सलवाद से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति के एक हिस्से के तहत, इस समस्या से प्रभावित पड़ोसी राज्यों के सुरक्षा कर्मियों को शामिल करते हुए एक संयुक्त कार्य बल (जेटीएफ) का गठन किया गया है, ताकि एक समन्वित अभियान शुरू किया जा सके और नक्सलियों को अंतरराज्‍यीय सीमाओं के जरिए एक राज्य से दूसरे राज्य में भागने से रोका जा सके। बस्तर क्षेत्र में सात जिले बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा शामिल हैं।
 
मुख्यमंत्री ने बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उठाए जा रहे कदमों को रेखांकित करते हुए कहा, शांत और निर्मल वातावरण में बसे छत्तीसगढ़ में पर्यटकों को आकर्षित करने की अपार क्षमता है। बस्तर घने जंगलों, झरनों और गुफाओं से समृद्ध है।
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साय ने कहा, पिछले साल बस्तर के धुड़मारस गांव (कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में) को विश्व पर्यटन मानचित्र पर जगह मिली। बस्तर में ‘होमस्टे’ को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसका सीधा लाभ स्थानीय आदिवासियों को मिलेगा। नई उद्योग नीति में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य बस्तर को पर्यटन केंद्र में बदलना, लघु वनोपज और पशुपालन के मूल्य संवर्धन से संबंधित उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करना तथा सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाना है। साय ने टिप्पणी की थी कि उनकी सरकार ‘बातचीत के बदले बातचीत, गोली के बदले गोली’ के सिद्धांत पर नक्सल विरोधी नीति को बढ़ाएगी। इस बारे में पूछे जाने पर साय ने कहा, सरकार शुरू से ही नक्सलियों से अपील करती रही है कि वे हमारे अपने लोग हैं, जिन्हें गुमराह किया गया है और उन्हें हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होना चाहिए।
 
मुख्यमंत्री ने कहा, हमने उन्हें (नक्सलियों को) हथियार छोड़ने के बाद बेहतर पुनर्वास का आश्वासन दिया था, जिसके परिणामस्वरूप पिछले 15 महीनों में 1,300 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ‘नियाद नेल्लनार’ ( आपका अच्छा गांव’) योजना शुरू की है, जिसके तहत राज्य सरकार सुरक्षा शिविरों के निकट स्थित गांवों में 17 विभागों की 52 योजनाओं और 31 सामुदायिक सुविधाओं का लाभ प्रदान कर रही है।
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मुख्यमंत्री ने कहा, सुरक्षा शिविर स्थापित किए जा रहे हैं, सड़कें बनाई जा रही हैं, बिजली के तार बिछाए जा रहे हैं और बस्तर के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए राशन कार्ड और अन्य सरकारी दस्तावेज बनाए जा रहे हैं। सरकार के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है और अब बस्तर के लोग चाहते हैं कि नक्सलवाद खत्म हो।
 
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नक्सली आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत पुनर्वास नीति-2025 नाम से एक नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति शुरू की है, जिसका उद्देश्य नक्सली हिंसा के पीड़ितों और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को अधिक मुआवजा, भूमि और नौकरी के अवसर प्रदान करना है।
 
साय ने कहा कि इसके साथ ही विकास और रोजगार के अवसर पैदा करने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि बस्तर में नक्सलवाद के लिए कोई जगह न रहे और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली प्रतिबंधित संगठन में वापस न लौटें। चिंता जताई जा रही है कि नक्सलवाद के खात्मे के बाद बस्तर में बड़े पैमाने पर खनन होगा।
 
इस संबंध में पूछे सवाल पर साय ने कहा, ऐसे आरोप पूरी तरह झूठे हैं। हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है। स्थानीय लोगों से सलाह-मशविरा करने के बाद ही बस्तर में उद्योग लगाए जाएंगे। यह जबरन नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, उद्योग नीति में यह प्रावधान है कि जन सुनवाई के बाद ही उद्योग स्थापित किए जाते हैं। जो लोग इस तरह के आरोप लगा रहे हैं, उनके पास कहने को कुछ नहीं है, इसलिए वे झूठे आरोप लगा रहे हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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