जिम्मी स्मृति गौ केंद्रि‍त सतत् विकास कार्यशाला : चौथा दिन

अहिल्या माता गौशाला में आयोजित गौ केंद्रि‍त दीर्घकालिक विकास कार्यक्रम में ऊर्जा नवीनीकरण विशेषज्ञ अजय चांडक, दीपक लुखी एवं घनश्याम लुखी ने प्रमुख वक्ता के रूप में शिरकत की। 

 


इस मौके पर दीपक गढिया द्वारा खूबसूरत प्रस्तुति दी गई। यह प्रेजेंटेशन मुनि सेवा आश्रम द्वारा संचालित बायो गैस संयंत्र पर तैयार किया गया है जिसमें गोबर द्वारा बायोगैस तैयार कर मात्र 200 रुपए प्रतिमाह के शुल्क पर 121 परिवारों तक पहुंचाई जा रही है। इसमें आश्रम की उन बसों का जिक्र भी किया गया, जो बायोगैस के माध्यम से संचालित हो रही हैं। 
 
घनश्याम लुक्‍खी सूरत के बड़े खाद्य उद्यमियों में शामिल हैं साथ ही वे ऑर्गेनिक खेती एवं फल प्रौद्योगिकी के प्रचार के पक्षधर हैं।



प्रोफेसर अजय चांडक, एम टेक आईआईटी मुंबई, फाउंडर प्रिंस, प्रोमोटर्स एंड रिसचर्स इन नॉन कंवेन्शनल एनर्जी. एवं  सुमन फाउंडेशन, धुले महाराष्ट्र, द्वारा भी, खास तौर से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों एवं सामान्य रूप से वैश्विक पर्यावरणीय संकट हेतु समाधान के तौर पर बायोगैस की अनुशंसा की गई। उनका कहना था कि भारत में गाय एवं अन्य पशु अच्छी तादाद में पाए जाते हैं।
 
 
कार्यक्रम में उपस्थित तीनों प्रमुख वक्ताओं ने बायोगैस ऊर्जा के निर्माण एवं भविष्य में कुकिंग एवं खाद्य प्रौद्योगिकी को लेकर युवाओं का मार्गदर्शन किया एवं अपनी कामयाबी की कहानी भी साझा की। उन्होंने बताया कि वे पिछले 5 साल से हर साल अपने साथी जिमी मगिलिगन को श्रद्धांजलि देने और उनके कार्यों को ऊर्जा नवीनीकरण की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए इंदौर आ रहे हैं।



 
डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने पिछले 26 सालों से आदिवासी महिलाओं को दिए जा रहे दीर्घकालिक कार्यकुशल प्रशि‍क्षण के अपने प्रायोगिक अनुभवों को साझा किया। 
 
उनके इन प्रयासों की बदौलत पिछले 5 सालों से सनावदिया ग्राम मूलभूत आवश्यकताओं के लिए आत्मनिर्भर है। इसके लिए गाय बेहद उपयोगी साबित हुई, जिसके माध्यम से ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों की आपूर्ति संभव हो सकी। गाय के होने से देशी मक्का, सब्जियां और अन्य आर्गेनिक खाद्य पदार्थ एवं कीटाणुरोधी हर्बल दवाईयों के निर्माण में सहायता मिली। स्कूलों और कॉलेजों में निशुल्क कार्यशाला लेने के अलावा, वे इसके प्रति जागरूकता पैदा करने के मकसद से युवा समूह एवं एनजीओ के माध्यम से भी लगातार प्रयासरत हैं।



जनक दीदी ने गायों को ऑर्गेनिक फूड खिलाने पर जोर दिया ताकि गाय से हमें विशुद्ध 'सस्टेनेबल' उत्पाद प्राप्त हो सके। हमारे देश में बायोगैस के लिए उपयोगी वातावरण है, देहातों में गाय, भैंस और बैल जैसे जानवरों की संख्या काफी ज्यादा है और यह हमारे बायोगैस के प्रमुख स्त्रोत है। हर गांव इस खजाने पर बैठा है लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं कर रहा। आजकल इन लोगों को LPG देने की बात हो रही है जो गलत है। हर गांव अपने-अपने बायोगैस प्रकल्प लगाकर  LPG से भी स्वच्छ ईंधन पा सकता है। इससे गांव का पैसा गांव में ही रहेगा। गोबर और सभी जैविक कचरे का इस्तेमाल बायोगैस के लिए होने से गांव साफ रहेंगे। गांव वालों को ज्यादा जैविक खाद उपलब्ध होगी। भारत सरकार को कम तेल आयात करना पड़ेगा। 
 
छोटे बायोगैस प्लांट के लिए प्लास्टिक वाले बायोगैस प्लांट अच्छे हैं। गांवों के लिए एक बड़ा प्लांट लगाकर पाईप द्वारा गैस देना बेहतर होगा।  

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