कश्मिा तो हो ही गया...एक महिला जो घर की देहलीज के भीतर चुपचाप बच्चों का लालन-पालन कर रही थी। अचानक कुछ ऐसा घटित हुआ कि बच्चों के सम्मान में उसे सड़क पर उतरना पड़ा। उसकी आवाज पूरे उत्तर प्रदेश की महिलाओं की आवाज बन गई, पूरे देश की महिलाओं की आवाज बन गई। मामला यहीं नहीं रुका, आज यह महिला यूपी के राजनीतिक आकाश पर एक चमकता हुआ 'नक्षत्र' बनकर उभरी है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं भाजपा नेता स्वाति सिंह की। स्वाति यूपी के योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल की सदस्य हैं। उनका एक और परिचय है। वे भाजपा के विवादित नेता दयाशंकर सिंह की पत्नी हैं। वही दयाशंकर जिन्होंने मायावती पर अभद्र टिप्पणी कर उत्तर प्रदेश की राजनीति को गर्मा दिया था। भाजपा ने तो दयाशंकर को पार्टी से बाहर निकाल दिया (अब फिर भाजपा में) था, लेकिन बसपा नेताओं ने अभद्रता की सीमाओं को लांघते हुए दयाशंकर की नाबालिग बच्ची पर टिप्पणी कर दी। बस, यहीं से उदय हुआ स्वाति सिंह का। स्वाति ने जिस तरह से इस पूरे मामले में बसपा का मुकाबला किया, भाजपा ने उन्हें लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से अपना उम्मीदवार बना दिया। हालांकि उन्होंने यह तो स्वीकार किया कि बसपा प्रकरण ने उनके जीवन की दिशा बदल दी।
वेबदुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक ने चुनाव के दौरान स्वाति का साक्षात्कार लिया था। इस दौरान स्वाति न सिर्फ अपनी जीत के प्रति आश्वस्त थीं, बल्कि उनमें गजब का आत्मविश्वास भी दिखाई दे रहा था। बसपा प्रकरण पर उन्होंने कहा था कि यह प्रतिशोध की लड़ाई न होकर महिलाओं के सम्मान की लड़ाई है। जब बच्चों के साथ कुछ गलत होता है तो हर मां को इसी तरह सामने आना चाहिए। मां यदि अपने बच्चों की ढाल नहीं बनेगी तो कोई भी सामने नहीं आएगा।