श्रीनगर। जम्मू कश्मीर पुलिस का एक और जवान पुलिस की नौकरी छोड़कर आतंकियों के साथ जा मिला है। उसने लश्करे तैयबा का दामन थाम लिया है। फिलहाल उसके भगौड़े होने की खबर की आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है। इस बीच कश्मीर में शुक्रवार को पूर्ण हड़ताल रही। यह हड़ताल कश्मीर में वर्ष 1947 में इसी दिन भारतीय फौज के आगमन के विरोध में थी।
दक्षिण कश्मीर का एक पुलिसकर्मी जो कथित तौर पर लापता था, शुक्रवार को मिल गया, लेकिन सोशल मीडिया पर लश्करे तैयबा के आतंकी के रूप में। लश्कर ने उसका कोड नाम अबू अकरम रखा है। अलबत्ता, पुलिस ने इस संदर्भ में कुछ भी बताने से इंकार करते हुए कहा कि अभी मामले की जांच जारी है।
अवकाश की अवधि बीत जाने के बावजूद जब उसने कुछ दिनों तक डयूटी पर रिपोर्ट नहीं किया तो उसके बारे में छानबीन की गई। उसके परिजनों के मुताबिक, वह गत सोमवार को कठुआ के लिए रवाना हुआ था, लेकिन आज तक नहीं पहुंचा है। फिलहाल उसके लापता होने से जुड़े सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है।
इस बीच, इश्फाक अहमद के लापता होने की खबर फैलने के कुछ ही देर बाद सोशल मीडिया पर उसका एक फोटो वायरल हो गया। इस फोटो में वह हथियारों संग नजर आ रहा है और बताया गया है कि वह अब लश्करे तैयबा के स्थानीय गुट का सदस्य बन गया है। उसका कोड अबू अकरम रखा गया है। इश्फाक के आतंकी बनने के संदर्भ में जब आईजीपी कश्मीर मुनीर अहमद खान से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो वह उपलब्ध नहीं हो पाए।
अलगाववादियों की ओर से बंद के आह्वान के बाद सुरक्षा एजेंसियों की ओर से कश्मीर घाटी के संवेदनशील इलाकों में कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। इस क्रम में श्रीनगर के 8 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लगाई गई थीं। जानकारी के अनुसार, श्रीनगर के रैनावारी, करालखुर्द, मायसूमा, सफाकदल, एमआर गंज, नौहटट्टा, खान्यार थानाक्षेत्रों में पाबंदियों के बीच सुरक्षाबलों की अतिरिक्त तैनाती की गई थी।
इस बारे में बात करते हुए श्रीनगर के डीसी सैय्यद आबिद राशिद शाह ने बताया कि श्रीनगर समेत अन्य जिलों में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए लोगों के एकत्रित होने पर पाबंदियां लगाई गई हैं। गौरतलब है कि अलगाववादियों के बंद के कारण कश्मीर घाटी में आम जनजीवन प्रभावित हुआ है। इसके अलावा कश्मीर में बंद का असर देखने को भी मिला है।