औरंगजेब V/s संभाजी, महाविकास अघाड़ी में ‍खिंची तलवारें...

शुक्रवार, 8 जनवरी 2021 (22:51 IST)
मुंबई। महाराष्ट्र में औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने को लेकर महाविकास अघाड़ी सरकार में तनातनी शुरू हो गई। औरंगाबाद को संभाजी नगर लिखे जाने पर कांग्रेस द्वारा आपत्ति जताने के बाद शिवसेना ने पलटवार किया है। तकरार के बीच अब मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मोर्चा संभाल लिया है। 
 
सीएमओ की ओर से किए गए ट्वीट में औरंगाबाद को संभाजी नगर लिखे जाने पर कांग्रेस द्वारा आपत्ति जताने के बाद संजय राउत ने भी पलटवार किया है। उन्होंने पूछा कि क्या संभाजी का नाम सरकारी दस्तावेजों में इस्तेमाल करना अपराध है? 
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मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अब इस मामले में मोर्चा संभाल लिया है। हालांकि उन्होंने महाविकास अघाड़ी में किसी भी तरह के मतभेद से इंकार किया है, लेकिन कहा कि औरंगजेब धर्मनिरपेक्ष नहीं था इसलिए यह मुद्दा गठबंधन के एजेंडे के अंतर्गत नहीं आता।

ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि औरंगाबाद को संभाजीनगर कहने में कुछ भी नया नहीं है। उनका यह बयान औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने के प्रस्ताव का कांग्रेस द्वारा विरोध किये जाने के बीच आया है। संभाजी, मराठा शासक छत्रपति शिवाजी के बड़े बेटे थे।

मुख्यमंत्री के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर औरंगाबाद को संभाजीनगर के रूप में उल्लेख ‍किए जाने पर कांग्रेस और राकांपा की आलोचना के बारे में जब पूछा गया, तो ठाकरे ने कहा कि उसमें नया क्या है? हम वर्षों से औरंगाबाद को संभाजीनगर कहते आ रहे हैं। राज्य में सत्तारूढ़ महाविकास आघाड़ी में शिवसेना के साथ-साथ राकांपा और कांग्रेस शामिल हैं। ठाकरे ने कहा कि औरंगजेब धर्मनिरपेक्ष नहीं था। धर्मनिरपेक्ष उसके लिए उपयुक्त शब्द नहीं है।
 
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दूसरी ओर मुख्यमंत्री के बयान पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने कहा कि शहर का नाम बदलने से लोगों की जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आता है। इसमें कहीं कोई विकास नहीं है। हम अपने इस रुख से मुख्यमंत्री को अवगत कराएंगे। शिवसेना ने 1995 में पहली बार औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने की मांग की थी।

दरअसल, इस विवाद की शुरुआत तब हुई थी जब सीएमओ ने दो दिन पहले मंत्रिमंडल के फैसलों को लेकर किए एक ट्‍वीट में कहा था कि संभाजीनगर (औरंगाबाद) में सरकारी मेडिकल कॉलेज में अतिरिक्त 165 बेड और 360 नए पदों के निर्माण को मंजूरी दी गई है।
 

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