मराठी दैनिक ने कहा कि लोग यह पूछ सकते हैं कि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ कांग्रेस के बुलाए गए बंद में शामिल होने के बारे में शिवसेना का क्या रुख है? अपने ही सवाल का जवाब देते हुए उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी ने कहा कि वह महत्वपूर्ण मुद्दों पर विपक्षी पार्टियों की शक्ति देखना चाहती है।
पार्टी ने महाराष्ट्र के मंत्री और भाजपा नेता चन्द्रकांत पाटिल पर भी निशाना साधा जिन्होंने कथित रूप से टिप्पणी की थी कि सरकार चलाना कितना मुश्किल है, यह समझने के लिए खुद को भाजपा के नेताओं की जगह रखकर देखना चाहिए। संपादकीय में कहा गया है कि पाटिल को पता होना चाहिए कि भाजपा का नेता होना आम आदमी होने से अधिक आसान है। पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में इजाफे का सीधा असर खाद्यान्न, दूध, अंडे, सार्वजनिक परिवहन जैसी अन्य जरूरी चीजों के मूल्य पर पड़ता है।
शिवसेना ने भाजपा नीत सरकार पर चुनावी वादे पूरे नहीं करने पर हमला किया। पार्टी ने कहा कि वर्ष 2014 के आम चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी ने 2 करोड़ नौकरियों का सृजन करने का वादा किया था। इसके विपरीत, मोदी शासन में हर साल 20 लाख नौकरियां घट गईं। पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार जिस तरह से जीडीपी वृद्धि का प्रचार कर रही है, उसी तरह से उसे पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में इजाफे का प्रचार भी करना चाहिए। (भाषा)