शासन के निर्णय के अनुसार यदि कोई बंदी किसी कारागार परिसर के अन्दर अथवा उसके बाहर कोई अपराध करने का प्रयास करने, दुष्प्रेरित करने, षड्यंत्र करने आदि के लिए किसी बेतार संचार युक्ति (मोबाइल फोन आदि) का प्रयोग करते हुए पाया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप कोई अपराध किया जा सकता है, तो दोष सिद्ध होने पर उसे 3 से 5 साल तक की जेल की सजा हो सकती है अथवा 20 हजार से 50 हजार रुपए तक का अर्थदंड लगाया जा सकता है, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने बुधवार को एक बयान में बताया कि इस संबंध में वर्तमान में दंड के प्रावधान को और अधिक कठोर बनाए जाने के लिए सजा में वृद्धि कर अपराध को संज्ञेय बनाए जाने की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए शासन द्वारा उक्त कार्रवाई की गई है, ताकि कारागारों में निरुद्ध बंदियों द्वारा संचालित आपराधिक गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सके।(भाषा)