ऋषि ने जानकारी देते हुए कहा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 7 अक्टूबर 1930 को फांसी की सजा सुनाई गई थी कि उक्त तीनों क्रांतिकारियों को 24 मार्च 1931 को फांसी दी जाएगी। उनके साथ 12 अन्य क्रांतिकारियों को भी अलग-अलग सजाएं सुनाई गई थीं लेकिन देशवासियों के प्रेम के आगे अंग्रेजी हुकूमत सकते में आ गई और विद्रोह को देखते हुए एक दिन पहले यानी 23 मार्च 1931 को ही भगत सिंह और साथियों को फांसी दे दी गई।