उन्होंने बताया कि सर्जरी से निकाले गए करीब 1.5 किलोग्राम वजनी गुच्छे में सिर के वे बाल थे, जिन्हें महिला अपनी मानसिक विकृति के चलते लंबे समय से चबाकर निगल रही थी। ये बाल उसके पेट में जमा होते रहे और सख्त गुच्छे में तब्दील हो गए थे। माथुर ने बताया कि अगर इस गुच्छे को वक्त रहते महिला के पेट से नहीं निकाला जाता, तो मरीज की सेहत को गंभीर खतरा हो सकता था। (वार्ता)