एक दिन में 100 बार चरम सुख, फिर भी दुखी...

यह बात आपको मजाक लग सकती है, लेकिन दो बच्चों के पिता डैल बेकर को भली-भांति पता है कि यह बात कितनी दुखद और उनके लिए शर्मिंदगी का सबब है। वे निराश रहते हैं और अपने इस अवांछित सुख को कोसते हैं जो कि उनके लिए किसी भी प्रकार से सुखद नहीं है।
 
वे निरंतर परसिसटेंट जेनीटल अराउजल (निरंतर कामोत्तेजना सिंड्रोम) जैसी बीमारी के शिकार हैं और वे दुनिया में पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर यह बात स्वीकारी है। 

उन्हें यह बीमारी सितंबर 2012 में तब हुई थी जब वे कुर्सी से उठ रहे थे तब उनका एक डिस्क स्लिप हो गया। जब उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था तभी उन्हें 5 बार ऑर्गेज्म का अहसास हुआ।
 
 
 
वे कहते हैं कि यह लगातार होता रहता है, आप चाहे नींद में हों या जागे हुए। एक वीडियो में उन्होंने बताया कि जब वे अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए ताबूत के साथ जा रहे थे तब उन्हें यह अहसास नौ बार हुआ। ऐसी हालत में दोनों हाथों को जमीन पर टिकाकर बैठ जाते हैं। एक बार शुरू हो जाने के बाद उनका यह सिलसिला कभी रुका नहीं।  
अब तो डर लगने लगा है डैल को, क्यों... पढ़ें अगले पेज पर....

उनके कूल्हे की हड्‍डी के कारण हुई इस दुर्घटना के कारण वे घर में ही बने रहते हैं और वे इसके सार्वजनिक तौर पर आने से डरे रहते हैं। इस कारण से वे न तो कोई काम कर पाते हैं और इससे उनका परिवार भी तनाव में रहता है।
 
टू रिवर्स, विस्कॉनसिन, अमेरिका में रहने वाले डैल अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ रहते हैं। इस स्थिति के चलते उनके साथ दोस्त और संबंधी भी दूर रहते हैं और यहां तक उनके बेटों के साथ भी उनका रिश्ता सहज नहीं है। उनकी प‍त्नी एप्रिल का कहना है कि डैल जिस तरह के पिता बनना चाहते हैं, वैसे बन नहीं सकते हैं। 
 
उनका लिंग हमेशा ही इरेक्शन की हालत में रहता है और कभी-कभी तो लगातार चार-चार घंटों तक ऐसा होता है और ऐसा एक दिन में 30 से 40 बार तक होता है। कभी कभी तो यह 100 बार तक हो जाता है। डेल और एप्रिल सेक्स भी नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनके सेक्स का कोई अंत ही नहीं हो पाता है।
 
इस बीमारी के दौरे उन्हें इतनी तेजी से और यकायक पड़ते हैं कि वे अपने घुटनों के बल पर बैठकर अनियंत्रित तरीके से कांपते रह जाते हैं। इन दौरों ने 37 वर्षीय डैल की जिंदगी पूरी तरह बदल दी है और वह कहते हैं कि जहां यह उनके शरीर को सुखद लगता है, लेकिन अंदर ही अंदर वे शर्म का अनुभव करते हैं। 
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सितंबर, 2012 से शुरू हुए पीजीएएस के बारे में डॉक्टर भी नहीं जानते हैं। इस बात का भी पता नहीं है कि यह कैसे हो जाती है। गौरतलब है कि यह बीमारी महिलाओं को भी होती है। ऐसा माना जाता है कि इस बीमारी का कारण कूल्हे की हड्‍डी के आसपास अत्यधिक संवेदनशील नर्व बंडल्स में होने वाले बदलाव के कारण होती है।
 
ब्रिटेन की एक महिला नर्स किम रैम्जे को इस बीमारी के बारे में भली-भांति पता है। उन्होंने वर्ष 2012 में गार्जियन को बताया कि वे भी पिछले छह वर्षों से इस बीमारी से पीडि़त हैं। उन्हें छोटे-छोटे काम करने में भी परेशानी होती है क्योंकि ऊंचाई में अंतर होने के कारण कूल्हे की हड्‍डी का संतुलन बिगड़ जाता है। 

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