आश्चर्य की बात है कि जिन देशों को विकसित और विकासशील माना जाता है, उनमें सेक्स को लेकर बहुत सारी यौन वर्जनाएं होती हैं। बच्चों को सेक्स शिक्षा भी दी जाती है, लेकिन जिन देशों में जनजातीय आबादी रहती है, वहां पर समाज सेक्स के मामले में बहुत उदार होता है।
जिस उम्र में हमारे सभ्य समाज के बच्चे गुड्डा- गुड़िया और गाड़ी, घोड़ों से खेलते-कूदते हैं, उसी उम्र में पापुआ न्यू गिनी जैसे देश के बच्चे वयस्कों की तरह सेक्स करने लगते हैं। यह बात आपके लिए आश्चर्यजनक हो सकती है कि पापुआ न्यू गिनी में पांच-छ: साल के बच्चे वे सभी काम करते हैं, जो वयस्कों के लिए समझे जाते हैं और इन कामों में सेक्स का काम भी शामिल हैं।
इस देश में रहने वाली ट्रोब्रिएंडर्स जनजाति समूह के बच्चे पांच- छ: साल की उम्र से ही शारीरिक संबंध बनाना शुरू कर देते हैं। इसके साथ ही यहां लड़कियों और महिलाओं की भी इसमें पूरी तरह भागीदारी होती हैं। वैसे इस देश में भी लड़के जहां 10 से 12 वर्ष की उम्र में शारीरिक संबंध बनाने के लिए समुचित उम्र के माने जाते हैं वहीं लड़कियां 6 से 8 साल में ही सेक्स करना शुरू कर देती हैं।
अगले पन्ने पर, रिझाने के लिए निकालते हैं आवाजेें...
एक-दूसरे को रिझाने के लिए लड़के और लड़कियां तरह-तरह की आवाजें निकालते हैं। यहां शारीरिक संबंध बनाने के लिए किसी तरह का सामाजिक प्रतिबंध नहीं है। कोई कहीं और कभी भी ऐसा करने के लिए स्वतंत्र होता है। लेकिन यहां के आदिवासी जनजीवन में कुछ ऐसी प्रथाओं का पालन कराया जाता है
जिनका कोई तर्कसंगत आधार समझ में नहीं आता है। इस कारण से यहां लड़का-लड़की आपस में शारीरिक संबंध भले ही बना लें लेकिन दोनों रात का खाना एक साथ नहीं खा सकते। शादी से पहले रात का खाना साथ खाने पर यहां प्रतिबंध है और जनजाति के लोग इसे बहुत बुरा मानते हैं।