मुस्कुराकर गम का जहर जिसको पीना आ गया यह हकीकत है कि जहाँ में उसको जीना आ गया। संत आशारामजी बापू ने कुछ इसी अंदाज में अपने भक्तों को जीवन जीने की कला सिखाई। वे मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में आयोजित सत्संग को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सबकुछ भूल जाओ और सीधे डूब जाओ भक्तिरस में। फिर देखो कि भगवान कैसे प्राप्त नहीं होते।
सत्संग के दौरान ही तेज बरसात शुरू हो गई। हालाँकि कार्यक्रम वाटरप्रूफ पंडाल में आयोजित किया गया था। इसके बावजूद बारीश की बूँदे भक्तों को भिगोने लगी, मगर भक्तिरस में डूबे भक्तों पर इसका कोई असर नहीं हुआ और वे प्रवचन सुनते हुए अपनी जगह पर जमे रहे।
बापूजी काव्यात्मक अंदाज में कह उठे- पूरे हैं वो मर्द जो हर हाल में खुश हैं। मिला अगर माल तो उस माल में ही खुश हैं। हो गए बेहाल तो उसी हाल में ही खुश हैं। अंत में उन्होंने कहा कि यह संसार और शरीर तो नाशवान है। इसलिए अपने इस शरीर को परहित की सेवा में लगाओ और अपने को परमात्मा की सेवा में अर्पित कर दो।