बंधनों से मुक्ति हेतु

हेतु- बंधनों से मुक्ति मिलती है, बेड़ियाँ टूट जाती हैं।

आपाद कंठमुरुश्रृंखल वेष्टितांगा गाढं बृहन्निगडकोटि-निघृष्ट-जंघाः ।
त्वन्नाम मंत्रमनिशं मनुजाः स्मरन्तः सद्यः स्वयं विगत-बन्ध-भया भवन्ति ॥ (46)

जो एड़ी से चोटी तक लौह-श्रृंखला से आबद्ध है... जिसकी जंघाएँ बेड़ियों की तीक्ष्णता से छलनी हो चुकी हैं... वह व्यक्ति भी यदि हर पल-हर क्षण आपका नाम स्मरण करे तो उसके तमाम बंधन अपने आप टूट जाते हैं।

ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो वड्ढमाणाणं ।

मंत्र- ॐ नमो ह्राँ ह्रीं श्रीं ह्रूँ ह्रौं ह्रः ठः ठः जः जः क्षाँ क्षीं क्षूँ क्षौं क्षः स्वाहा ।

वेबदुनिया पर पढ़ें