जीवन का उद्देश्य नहीं है, केवल खाना-पीना।
जीवन का उद्देश्य है जग में, जगना और जगाना।
खुद कमाओ, खुद खाओ- यह मानव की प्रकृति है।
कमाओ नहीं, छीनकर खाओ- यह मानव की विकृति है।
खुद कमाओ, दूसरों को खिलाओ- यही हमारी संस्कृति है।
मानव जीवन की सफलता के लिए समय का सदुपयोग करें। दौलत से रोटी मिल सकती है पर भूख नहीं। दौलत से बिस्तर मिल सकते हैं, पर नींद नहीं। दौलत से गीता की पुस्तक मिल सकती है पर ज्ञान नहीं। दौलत से मंदिर मिल सकता है पर भगवान नहीं।