8 अप्रैल : आर्य समाज दिवस

प्रीति सोनी 
10 अप्रैल 1875 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा बंबई में आर्य समाज की स्थापना की गई थी। धर्मान्तरण को रोकने और वैदिक धर्म को स्थापित कर, देश को धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक रूप से एक सूत्र में बांधने के उद्देश्य से आर्य समाज की स्थापना की गई थी।
आर्य का शाब्दिक अर्थ है - भद्र एवं समाज का अर्थ है - समाज। इस प्रकार से आर्य समाज का संपूर्ण अर्थ होता है भद्रजनों का समाज। आर्य समाज की स्थापना कुछ विशेष सिद्धांतों और नियमों को महत्व देकर की गई। इसमें आर्य समाज के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं - 

आर्यसमाज के प्रमुख सिद्धांत...अगले पेज पर

1 सभी शक्ति और ज्ञान का प्रारंभिक कारण ईश्वर ही है।

2  ईश्वर ही सर्व सत्य है, सर्व व्याप्त है, पवित्र है, सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है और सृष्ट‍ि का कारण है। सिर्फ ईश्वर की ही पूजा होनी चाहिए।


3 वेद ही सच्चे ज्ञानग्रंथ हैं।
4 सत्य को ग्रहण करने और असत्य को त्यागने के लिए सदा तत्पर रहना चाहिए।
5 उचित- अनुचित का विचार करने के बाद ही कोई कार्य करना चाहिए।
6 मनुष्य मात्र को शारीरिक, सामाजिक और आत्मिक उन्नति के लिए कार्य करना चाहिए।
7 प्रत्येक जीव के प्रति न्याया, प्रेम, औीर उसकी योग्यता के अनुसार ही व्यवहार करना चाहिए।
8  ज्ञान की ज्योति फैलाकर अंधकार को दूर करने का प्रयास हमेशा करना चाहिए।
9 केवल अपनी उन्नति से संतुष्ट न होकर दूसरों की उन्नति के लिए भी प्रयास करना चाहिए।
10 समाज के कल्याण के लिए और उन्नति के लिए अपने मत तथा व्यक्तिगत बातों का त्याग करना चाहिए।

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