अधिक मास में करें भगवान विष्णु का षोडशोपचार पूजन, मिट जाएगी दरिद्रता

अधिकमास के अधिपति देवता भगवान विष्णु है। इस मास की कथा भगवान विष्णु के अवतार नृःसिंह भगवान और श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है परंतु इस माह में श्रीहरि विष्णु और लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस माह में पुरुषोत्तम भगवान का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। इस मास में श्रद्धा-भक्ति से भगवान की पूजा-आराधना, व्रत आदि करने से मनुष्य के दु:ख-दारिद्रय और पापों का नाश होकर अंत में भगवान के धाम की प्राप्ति होती है। आओ जानते हैं क्या होता है षोडशोपचार पूजन।
 
 
षोडशोपचार पूजन : षोडशोपचार पूजन अर्थात 16 तरह से श्रीहरि विष्णु का पूजन करना। ये 16 प्रकार हैं- 1.ध्यान-प्रार्थना, 2.आसन, 3.पाद्य, 4.अर्ध्य, 5.आचमन, 6.स्नान, 7.वस्त्र, 8.यज्ञोपवीत, 9.गंधाक्षत, 10.पुष्प, 11.धूप, 12.दीप, 13.नैवेद्य, 14.ताम्बूल, दक्षिणा, जल आरती, 15.मंत्र पुष्पांजलि, 16.प्रदक्षिणा-नमस्कार एवं स्तुति।
 
उपरोक्त प्रकार से पूजा करने के दौरान विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र पाठ का वाचन करना चहिये और इस मास में भगवान को दीपदान और ध्वजादान की भी करना चाहिए। इस मास में शालिग्राम की मूर्ति के समक्ष घर के मंदिर में घी का अखण्ड दीपक पूरे महीने जलाना चाहिए।

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