यह योग निद्रा केवल विश्राम नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक स्थिति है जिसमें भगवान सृष्टि के संचालन की सूक्ष्म प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। यह काल भारतीय संस्कृति में विशेष धार्मिक महत्व रखता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते, क्योंकि माना जाता है कि भगवान विष्णु के शयन करने से इन कार्यों में उनकी कृपा प्राप्त नहीं होती।
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