हनुमान अष्टमी का पर्व हनुमानजी का विजय उत्सव है। एक प्रसंग के अनुसार त्रेता युग में लंका युद्घ के समय जब अहि रावण भगवान राम-लक्ष्मण को पाताल ले जाकर उनकी बलि देना चाहता था, तब हनुमानजी ने अहि रावण का वध कर भगवान को बंधन मुक्त किया था तथा पृथ्वी के नाभि स्थल अवंतिका में आकर विश्राम किया।
हरि का अलौकिक रूप होते हुए भी शिव-अर्चना करके भगवान भूत भावन को प्रसन्न किया था। तब शिव ने प्रसन्न होकर हनुमानजी को वरदान दिया था कि हनुमान अष्टमी पर्व है, पवन पुत्र तुम्हारा नाम हनुमन्तेश्वर होगा। सिन्दूर लगे और श्रृंगार करके जो पवित्र भाव से दर्शन करेगा उसे मेरे दर्शन होंगे और उसकी इच्छित मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।