आज संसार में एक बीमारी बहुत तेज़ी से फ़ैल रही है, जिसका नाम है -अकेलापन। ब्रिटेन की सरकार ने तो एक मंत्रालय ही बना दिया है जिसका नाम है 'अकेलेपन का मंत्रालय।' आज लोगों के पास पति-पत्नी, बच्चे, पैसा, घर, गाड़ी यह सब कुछ प्रचुर मात्रा में है, फिर भी उनके जीवन में अकेलापन है।
आप देखेंगे कि हर संपन्न देश में यह समस्या है। भारत भी इससे अछूता नहीं है लेकिन अभी तक किसी ने इस पर कभी कोई आंकड़ा नहीं निकाला इसीलिए हमें पता नहीं है कि कहां लोग ज़्यादा अकेलापन महसूस कर रहे हैं- धारावी की झुग्गियों में या फिर मुंबई की बड़ी जगहों पर; भारत के किसी और बड़ी नगरी में या छोटे शहरों में! हमने देखा है कि लॉकडाउन के समय भी लोगों ने बहुत अकेलापन महसूस किया है।
आज जहां सोशल मीडिया हमें बहुत पास लेकर आया है, वहीं दूसरी ओर इसने हमें अपने आप से और अपनों से बहुत दूर कर दिया है। कहने को हम सभी से जुड़े हुए हैं लेकिन साथ बैठकर बात करते समय भी हम हर पांच मिनट में अपना फ़ोन देखते रहते हैं। अब मान लीजिए दो लोग जो अकेलेपन से जूझ रहे थे और अपने आप से बोर हो गए थे, जब एक दूसरे के साथ रहने आए तो वे थोड़े समय के लिए तो ख़ुश रहेंगे मगर ज़्यादा समय के लिए वो साथ रहने वाले नहीं हैं।
हर इंसान के अंदर ध्यान करने की एक स्वाभाविक इच्छा होती है क्योंकि हर कोई एक ऐसे स्थायी सुख की तलाश में है जहां सिर्फ सच्चा प्यार हो और वहाँ कोई भी नकारात्मक भावना न हो। हर दिन हमारे मन पर बाहरी घटनाओं का कुछ न कुछ असर पड़ता रहता है। इससे छुटकारा पाने और मन को शांत रखने के लिए हर किसी को ध्यान करना चाहिए। ध्यान करने से हम ताजगी महसूस करते हैं और अपनी वास्तविक अवस्था में लौट आते हैं। ध्यान ही सबसे बड़ा सुख है।
ऐसा मानकर चलें कि आप यहां इस धरती पर औरों को सुख देने के लिए आएं हैं। तब आप देखेंगे कि जो आपका अकेलापन है वह बहुत जल्दी समाप्त हो जाएगा। जब आप दूसरों की आवश्यकताएं पूर्ण करने लग जाते हैं तब यह प्रकृति आपकी ज़रूरत को, आपकी आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए लालायित हो जाती है। आपको जो चाहिए वो आपको प्राप्त होने लगता है। यही सत्य है!