मरदा स्थित इस जगन्नाथ मंदिर में कोई देवी-देवता ही स्थापित नहीं हैं। कहते हैं, सन 1733-35 के दौरान जब कलिंग शैली के मंदिरों को मुस्लिम आक्रांता निशाना बना रहे थे, तब यह मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर के देवी-देवताओं की मूर्तियों को छिपाने की जगह थी।
बाद में स्थिति शांत होने पर यहां से देवी-देवताओं की मूर्तियां वापस पुरी ले जायी गईं। चूंकि देवी-देवताओं ने मरदा में शरण ले रखी थी अतएव यह जगह ‘शरण श्रीक्षेत्र’ के रूप में चर्चित हो गयी। तब से इस मंदिर में कोई देवी-देवता नहीं है, इसलिए यहां रथयात्रा उत्सव का कभी आयोजन नहीं हुआ।