नमस्कार और नमस्ते : संस्कृत शब्द नमस्कार को मिलते वक्त किया जाता है और नमस्ते को जाते वक्त। फिर भी कुछ लोग इसका उल्टा भी करते हैं। विद्वानों का मानना है कि नमस्कार सूर्य उदय के पश्चात और नमस्ते सूर्यास्त के पश्चात किया जाता है।
प्राचीनकाल से ही हिन्दूजन मिलते वक्त नम:स्कार और जाते वक्त नमस्ते कहता आया है। यदि आप बड़े-बुजुर्गों से मिलते हैं तो उनको प्रणाम कहते या करते हैं।
1. हृदय नमस्कार :
दोनों हाथों को अनाहत चक्र (सीने पर) पर रखा जाता है, आंखें बंद की जाती हैं और सिर को झुकाया जाता है।
2. मस्तक नमस्कार :
हाथों को स्वाधिष्ठान चक्र (भोहों के बीच का चक्र) पर रखकर सिर झुकाकर और हाथों को हृदय के पास लाकर भी नमस्ते किया जा सकता है।