पवनदेव : वायुदेव ब्रह्मा के पुत्र हैं। हनुमान और भीम को पवनपुत्र माना जाता है। उनकी एक पुत्री है जिसका नाम इला है। इला का विवाह ध्रुव से हुआ था। वायु को पवनदेव भी कहा जाता है। पवनदेव के अधीन रहती है जगत की समस्त वायु। ये त्वष्ट्री के जामाता कहे गए हैं। कुशनाभ की सौ पुत्रियों को वायुदेव ने कुब्जा बना दिया था। एक बार नारद के उत्साहित करने पर इन्होंने सुमेरु का शिखर तोड़कर समुद्र में फेंका डाला। वही लंकापुरी बन गया था।
पवन देव वायु एक हिन्दू देवता हैं और वे हनुमान एवं भीम के पिता हैं। वह स्वर्ग के देवता भगवान इंद्र द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं। वह भगवान विष्णु के सच्चे भक्त हैं।
त्रेतायुग में वह भगवान हनुमान के पिता थे, और उन्होंने भगवान श्रीराम की बहुत बड़ी सेवा की थी। द्वापर युग में वह भीम के पिता थे, और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की बहुत महान सेवा की थी। कलियुग में उन्होंने फिर से महान ऋषि वेद व्यास की सेवार्थ माधवाचार्य के रूप में अवतार लिया और यह माना जाता है कि अभी भी वे बद्रिकाश्रम में श्री वेद व्यासजी की दिव्य सेव कर रहे हैं।
भगवान वायु में कई महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। वह पृथ्वी के सभी जीवों के लिए आधार है। उसकी मदद के बिना, इस दुनिया में कोई भी जीवित नहीं रह सकता है।
महान शक्ति पर आधिपत्य होने पर भी वे एक विनम्र और सौम्य देवता हैं, जो हमेशा भगवान विष्णु की पूजा और हमेशा उनके विभिन्न नामों का जप करते रहते हैं। वह भगवान इंद्र द्वारा भी नियंत्रित किए जाते हैं और वह उनके लिए एक सहायक के रूप में कार्य करते हैं। उन्हें उनके निर्देशों का पालन करना और उनके अनुसार कार्य करना होता है।
एक बार भगवान हनुमान बचपन में यह सोचकर सूर्य देव को पकड़ने की कोशिश करते हैं कि यह एक फल है। उसकी यह चेष्ठा देखकर, भगवान इंद्र ने उन्हें अपने शक्तिशाली हथियार वज्रायुध के साथ मारा। भगवान हनुमान शस्त्र की शक्ति का सामना नहीं कर सके और वह तुरंत जमीन पर गिरकर अचेत हो गए। अपने बेटे की ऐसी स्थिति को देखकर, क्रोधित होकर भगवान वायु ने मानव और दिव्य प्राणियों के बीच अपने वायु परिसंचरण को रोक दिया।
पृथ्वी और स्वर्ग में और हर कोई इस कृत्य से पीड़ित होने लागा। कुछ समय बाद, देवताओं ने वायुदेव को शांत किया और हनुमान को उनकी सामान्य स्थिति में वापस ला दिया और उन्हें कई महान वरदान दिए। भगवान वायु खुश हो गए और उन्होंने फिर से स्वर्ग और पृथ्वी पर अपने वायु परिसंचरण को प्रसारित कर दिया। इस घटना से, हम उसकी महान शक्तियों का एहसास कर सकते हैं।
यदि हम अपनी सांस रोकते हैं तो हम जीवित नहीं रह सकते हैं। हम केवल भगवान वायु के कारण ही जीवित हैं, जो इस संसार में सांस लेने में हमारी मदद करते हैं। आइए हम इस महान देवता भगवान वायुदेव की पूजा करें और धन्य हो। ॐ श्री वायुदेवाय नम:।