तस्य वाचकः प्रणवः।।- तैत्तिरीयोपनिषद् १.२७॥ अर्थात उसका वाचक (नाम, इंगित करने वाला) प्रणव है। अस्य ओम नम: शिवाय पञ्चाक्षर मन्त्रस्य वामदेव ऋषिः अनुष्टुप् छन्दः श्री सदाशिवो देवता। अर्थात इस शिव पंचाक्षरमन्त्र के वामदेव ऋषि हैं, अनुष्टुप् छन्द है, सदाशिव देवता हैं)