क्यों कहा जाता है बिना नींव की मस्जिद ?
उज्जैन के दानी गेट इलाके के पास स्थित जाम-ए-अल्तमश मस्जिद करीब 800 साल पुरानी है। इसे बिना नींव की मस्जिद भी कहा जाता है। ये इसलिए कि इसके निर्माण के समय इसकी नींव नहीं बनाई गई थी। केवल पत्थरों के ऊपर पिल्लर खड़े कर इस मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस मस्जिद को 12वीं शताब्दी में दिल्ली के सुल्तान शम्सुद्दीन अल्तमश द्वारा बनवाया गया था। मुस्लिम समुदाय के लोगों के अलावा यहां भारी मात्रा में हिन्दू भी आते हैं। उनका मानना है कि यहां आकर माथा टेकने से उनकी मन्नतें पूरी होती हैं। नींव के ना होने के बाद भी 8 शताब्दियों से ऐसी ही बनी रहने की वजह से ये मस्जिद कई बार वास्तुकला विशेषज्ञों के लिए शोध का केंद्र भी बन चुकी है। मस्जिद की छत और दीवारों पर बहुत ही बारीक नक्काशी की गई है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। हाथी की नक्काशी, गणेश प्रतिमा आदि देखे जाने के महामंडलेश्वर स्वामी अतुलेशानंद जी दावे के बाद से यहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है और स्थानीय लोग भी इसे देखने आ रहे हैं।