विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने के नियम और लाभ

एकादशी, अनंत चतुर्दशी, देवशयनी, देव उठनी, दिवाली, खरमास, पुरुषोत्तम मास, तीर्थ क्षेत्र, पर्व आदि विशेष अवसरों पर विष्णु सहस्रनाम का पाठ ( Vishnu Sahasranamam Path ) किया जाता है। इस पाठ को करने के कुछ नियम और कई चमत्कारिक फायदे हैं। आओ जानते हैं संक्षिप्त में।
 
विष्णु सहस्रनाम में वर्णित है श्रीहरि विष्णु के 1,000 नाम की महिमा
 
फायदे :
1. मान्यता है कि विशेष अवसरों पर व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। 
 
2. इस पाठ को करने से घर में धन-धान्य, सुख-संपदा बनी रहती है।
 
3. इसका पाठ करने से संतान पक्ष से सुख मिलता है।
 
4. इस पाठ को करने से बृहस्पति की पीड़ा दूर होती है। 6, 8 और 12वें भाव में गुरु है तो इसका पाठ करें।
 
5. विवाह नहीं हो रहा है तो इसका नियमित पाठ करें। 
 
6. संतान उत्पन्न होने में कठिनाई हो रही है तो भी इसका नियमित पाठ करें।
 
7. दांपत्य जीवन में बाधा उत्पन्न हो रही है तो विष्णु लक्ष्मी की मूर्ति स्थापना करके पाठ करें।
 
8. इसका पाठ करने से भाग्योदय होता है।
 
9. इसका पाठ करने से प्रगति में बाधा उत्पन्न नहीं होती है।
 
नियम :
1. इस पाठ को करने के पूर्व पवित्र होना जरूरी है।
 
2. व्रत रखकर ही पाठ करें।
 
3. व्रत का पारण सात्विक और उत्तम भोजन से ही करें।
 
4. पाठ करने के लिए पीले वस्त्र पहनकर ही पाठ करें। 
 
5. पाठ करने ने पूर्व श्रीहरि विष्णु की विधिवत पूजा करने के बाद गुड़ या पीली मिठाई अर्पित करें। 
 
6. पाठ करते वक्त बीच में कोई अन्य कार्य न करें। 
 
7. पाठ करने के लिए श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र पुस्तिका को ससम्मान पाट पर विराजमान करके पाठ करें।
 
8. पाठ करने के बाद पुन: विष्णुजी की पूजा करें और फिर आरती करने के बाद प्रसाद वितरण करें। 
 
9. कोई मनोकाना हो तो इस पाठ को हर बृहस्पतिवार को जरूर करें। 

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