ढोंगी बाबा बैठता है शूल की सेज पर

आस्था और अंधविश्वास की इस कड़ी में एक बार फिर हम आपकी मुलाकात एक कड़वे सच से करवा रहे हैं। आज हम आपके सामने
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एक बाबा का कच्चा-चिट्ठा खोल रहे हैं। इस कड़ी में हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के रतीबाड़ा थाना क्षेत्र के बाबा बालेलाल शर्मा की।

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इन बाबा का दावा है कि इनके ऊपर पीर की सवारी आती है। सवारी आने के बाद ये मरीजों का त्रिशूल से ऑपरेशन करते हैं। इनका दावा है कि वे भक्तों के हर दु:ख-दर्द को दूर कर सकते हैं।

यह सुनने के बाद हमने रुख किया रतीबाड़ा का। यहाँ एक छोटा-सा मंदिर बना हुआ था। मंदिर के बाहर लोगों की भीड़ लगी थी। बातचीत में पता चला कि बाबा को आने में अभी देर है। थोड़ी ही देर में सिल्‍वर इंडिका में बालेलाल शर्मा वहाँ पधारे। हमसे बातचीत में बालेलाल ने दावा किया कि उन पर उनके खानदानी पीर की आत्मा आती है।

जब पहले-पहल ऐसा हुआ था, तब परिवार वालों ने विश्वास नहीं किया। कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन बात नहीं बनी। बाद में सभी को समझ में आया कि मेरे ऊपर पीर साहब का साया है। मैंने घरवालों को मिठाई और लोबान से लाद दिया। फिर अग्नि परीक्षा के बाद सभी ने मेरे ऊपर विश्वास किया। बाबा के बात करने के अंदाज से हम समझ गए थे कि वे हमें प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। जब हमने उनसे मिठाई की बात कही तो वे बोले कि पीर साहब को आने दो, उनकी इच्छा होगी तो तुम्हें मिठाई मिल जाएगी।

यह कहने के बाद बाबा मंदिर के अंदर गए। अंदर जाकर उन्होंने कुर्ता-पायजामा उतारा और मोटी जींस पहन ली। इस तथ्य को देखने के बाद ही हमें समझ आ गया कि ये बाबा कितने बड़े साधक हैं। यदि पीर की सवारी आने के बाद कीलों का असर नहीं होता तो कपड़े क्यों बदले गए। कपड़े बदलकर बाबा नए ड्रामे के लिए तैयार हो गए। उन्होंने लोबान जलाया। कुछ बुदबुदाया और अजीब तरीके से हिलने लगे। बाबा के चेलों ने उनकी जय-जयकार करना शुरू कर दी। उन्हें उठाकर कीलों पर बैठाया गया। इसके बाद शुरू हुआ बाबा का लोगों को बेवकूफ बनाने का सिलसिला।

हमारे सामने एक किडनी का रोगी आया। इस व्यक्ति की दोनों किडनियाँ खराब थीं। मरीज को देख बाबा ने कहा- यदि नींबू के अंदर से गेहूँ के दाने निकले तो वे इलाज कर सकते हैं। इसके बाद नींबू से गेहूँ के दाने निकालने का करतब दिखाया गया। बाबा ने कहा- ये दाने मेरा वचन हैं। अब इस मरीज का त्रिशूल से ऑपरेशन किया जाएगा। यह कहकर बाबा ने एक कुँवारी लड़की को बुलाया। लड़की के हाथ में त्रिशूल पकड़ाकर बाबा ने कहा कि त्रिशूल के पीछे के हिस्से को मरीज की कमर में चार इंच अंदर तक घुसा दिया जाए। ऐसा करने से वह ठीक हो जाएगा।

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इस कथित ऑपरेशन को करने के लिए मरीज को पहले चादर से ढँक दिया गया। फिर लड़की ने त्रिशूल को मरीज की कमर में धँसाने का नाटक किया। बाबा ने कहा- ऑपरेशन हो गया। अब मरीज की बीमारी यहीं रुक गई है। इस ऑपरेशन में खून का एक कतरा भी नहीं निकला। यदि ऑपरेशन हुआ है, त्रिशूल चार इंच अंदर तक धँसाया गया है तो खून तो निकलना ही चाहिए न, लेकिन बाबा से अभिभूत नादान लोगों को कौन समझाए। बाबा ने तो हमारे सामने यह दावा भी किया कि अगले सप्ताह महज एक ब्लेड से मरीज की किडनियाँ बाहर निकालकर उसे पंप करके ठीक कर देंगे। अब आप ही बताइए, क्या इस बाबा पर विश्वास किया जाना चाहिए

बाबा का कहना है कि वे पैसे नहीं लेते। ऐसा करने से पीर महाराज ने मना किया है। लेकिन इन्हीं बाबा के दर पर दो रुपए के फूल और अगरबत्ती सात से दस रुपए में बेचे जाते हैं। इस बात से आप बाबा के गोरखधंधे को समझ ही गए होंगे ना।
इस मरीज के बाद बाबा के पास कोर्ट-कचहरी के मामलों से परेशान एक व्यक्ति आया। बाबा ने उसे भी गेहूँ के कुछ दाने दिए और कहा कि काम हो जाएगा। इसके बाद एक मरीज, जिसके सिर में खून का थक्का जमा था, के सिर का त्रिशूल से ऑपरेशन किया गया। इसमें भी खून का एक कतरा नहीं गिरा। यहाँ गौर करने लायक बात यह है कि हर बार एक ही लड़की ऑपरेशन कर रही थी। बाबा के बोलवचन यहीं खत्म नहीं हुए। वे बच्चे करवाने, मुकदमे जितवाने, हर तकलीफ को दूर करने, हर लाइलाज बीमारी को दूर करने का दावा करते रहे।

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उन्होंने हमें भी एक करतब दिखाया। करतब फूल को रेवड़ी में बदलने का। करतब नींबू में से गेहूँ निकालने का। इस करतब को हम सभी बचपन में कई बार जादूगर आनंद या पीसी सरकार के मायाजाल में देख चुके हैं। वहाँ कई मजेदार करतबों के बीच इन छोटे से करतबों को भी शामिल किया जाता था। अब आप ही बताइए, इस तरह के बाजीगरी करतबों को चमत्कार मानना कहाँ तक उचित है? त्रिशूल के द्वारा इलाज को आप आस्था समझते हैं या अंधविश्वास, हमें जरूर बताइएगा।