मुलाकात कीजिए ऐसे शहर से

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वेबदुनिया से चर्चा करते समय महाकाल के सेवक आशीष पुजारी ने बताया उज्जैन की रक्षा कालो के काल महाकाल करते हैं। वे ही उज्जैन के एकमात्र राजा है। हर साल सावन सोमवार के दिन और महाशिवरात्री के दिन महाकाल अपनी प्रजा का हाल-चाल जानने के लिए नगरभ्रमण के लिए निकलते हैं। इसलिए उज्जैन में किसी अन्य राजा को रात बिताने की अनुमति नहीं है।

अतीत में कई मुख्यमंत्री जिन्होंने महाकाल की अवंतिका में रात गुजारी उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ा। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती का उदाहरण देकर बताते हैं कि सिंहस्थ के समय सुश्री भारती ने अपने गुरू के आश्रम में उज्जैन में ही रात बिता ली थी। यही कारण था कि उन्हें पदविमुख होना पड़ा। ऐसे ही कई उदाहरण यहाँ के किस्साकारों की पिटारी में बंद है।

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दूसरी तरफ अनेक विद्वानों का मत है कि इस तरह की एकाध घटनाएँ मात्र संयोग भी हो सकती हैं। महाकाल के भक्त राजेश भाटिया का मनना है कि महाकाल के ऊपर आपार श्रद्धा रखने वाले राजा-महाराजा स्वतः ही महाकाल के सम्मान में शहर के बाहर रात बिताते थे। अन्यथा महाकाल कभी भी अपने भक्तों का अहित नहीं कर सकते। अब आप ही बताइए कि यह किवदंती आस्था है या अंधविश्वास ?