सैलाना का केदारेश्वर धाम

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शिवगढ़ मार्ग पर सैलाना से 4 किलोमीटर दूर सुरम्य पहाड़ियों के बीच स्थित धार्मिक पर्यटन स्थल केदारेश्वर धाम में श्रावण मास में दर्शनार्थियों का ताँता लग रहा है। श्रद्धालु केदारेश्वर महादेव मंदिर पर दर्शन व जलाभिषेक कर पुण्य लाभ ले रहे हैं। तीर्थ और पिकनिक का एक साथ मजा ले रहे हैं। बारिश के मौसम और छुट्टी का दिन आने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन लाभ लिया और प्राकृतिक सौंदर्य को निहारा।

चमत्कारिक महादेव मंदिर : यहाँ चमत्कारिक महादेव मंदिर है। शिवलिंग की जलाधारी के नीचे महाराजा दिलीपसिंह की छोटी-सी मूर्ति है। शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल महाराजा की मूर्ति पर भी गिरता है। श्रावण मास में श्रद्धालु बिल्व पत्र व जल से अभिषेक कर मनोकामना पूरी करते हैं।

राजा जयसिंह ने वर्ष 1730 में सैलाना बसाया था। तब से लगभग केदारेश्वर का इतिहास भी है। एक जानकारी के अनुसार वर्ष 1734 में महाराजा जयसिंह के समय ही इस स्थल का नाम केदारेश्वर पड़ा। रियासती काल में महाराजा जयसिंह, महाराजा दुलेसिंह, महाराजा जसवंतसिंह, महाराजा दिलीपसिंह तथा स्वतंत्र भारत में कलेक्टर राकेश बंसल, दीप्ति गौड़ मुखर्जी के कार्यकाल में सैलाना केदारेश्वर में जीर्णोद्धार के अच्छे कार्य हुए।

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झरना व कुंड आकर्षक : केदारेश्वर की सीढ़ियों से नीचे उतरते ही कल-कल करता एक मनोरम झरना व मनमोहक कुंड दर्शनार्थियों का स्वागत करता प्रतीत होता है। ग्रीष्मकाल में इस कुंड में पानी नहीं होता है, पर शीत और वर्षा ऋतु में इसमें पानी भरा रहता है। अष्टकोणों से घिरे कुंड की बनावट भी काफी आकर्षक है।

वर्षाकाल में अच्छी बारिश के कारण झरने का गिरता हुआ जल हर मन को प्रफुल्लित कर देता है। कुंड के चारों तरफ कलात्मक ढंग से बनी हुई सीढ़ियाँ गोया हरेक को कुंड के पानी में स्नान करने के लिए आमंत्रित करती मालूम होती है।

दो बार लगता है मेला : वर्ष में दो बार वैशाख और कार्तिक पूर्णिमा पर केदारेश्वर पर मेले लगता है। ये मेले जनपद पंचायत के सौजन्य से लगाए जाते हैं। इन घोषित मेलों के अतिरिक्त शिवरात्रि पर्व पर मेले जैसा माहौल बन जाता है। हजारों की संख्या में कावड़ यात्री केदारेश्वर आकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। शिवरात्रि पर्व पर रात 12 बजे विशाल महाआरती होती है।

श्रावण सोमवार को यहाँ दर्शन-पूजा के लिए बाहर से काफी दर्शनार्थी आते हैं। शिव भक्तों को इंतजार है तो सिर्फ झमाझम बारिश का, ताकि खुशी की लहरों के साथ वे केदारेश्वर दर्शन व पिकनिक के लिए जाएँ और झरने के विराट रूप को देखें।

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