1. सरयू नदी के तट पर बसी अयोध्या नगरी रामायण के अनुसार विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापित की गई थी। स्कंद पुराण के अनुसार अयोध्या भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान है। कुछ विद्वानों के अनुसार प्राचीनकाल में अयोध्या कोसल क्षेत्र के एक विशेष क्षेत्र अवध की राजधानी थी इसलिए इसे 'अवधपुरी' भी कहा जाता था। 'अवध' अर्थात जहां किसी का वध न होता हो।
2. कहते हैं कि 'अयोध्या' शब्द 'अयुद्धा' का बिगड़ा स्वरूप है। रामायण काल में यह नगर कोसल राज्य की राजधानी थी। भगवान राम के पुत्र लव ने श्रावस्ती नगरी बसाई थी। बौद्ध काल में यह श्रावस्ती राज्य का प्रमुख शहर बन गया और इसका नाम 'साकेत' प्रचलित हुआ। कालिदास ने उत्तर कोसल की राजधानी साकेत और अयोध्या दोनों ही का नामोल्लेख किया है।
3. दरअसल, बौद्ध काल में कोसल के दो भाग हो गए थे- उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल जिनके बीच में सरयू नदी बहती थी। अयोध्या या साकेत उत्तरी भाग की और श्रावस्ती दक्षिणी भाग की राजधानी थी। इस काल में श्रावस्ती का महत्त्व अधिक था। कहते हैं कि बौद्ध काल में ही अयोध्या के निकट एक नई बस्ती बन गई थी जिसका नाम साकेत था।
4. अथर्व वेद में अयोध्या को 'ईश्वर का नगर' बताया गया है, 'अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या'। नंदूलाल डे, द जियोग्राफ़िकल डिक्शनरी ऑफ़, ऐंश्येंट एंड मिडिवल इंडिया के पृष्ठ 14 पर लिखे उल्लेख के अनुसार राम के समय इस नगर का नाम अवध था।
5. भारत की प्राचीन नगरियों में से एक अयोध्या को हिन्दू पौराणिक इतिहास में पवित्र और सबसे प्राचीन सप्त पुरियों में प्रथम माना गया है। सप्त पुरियों में अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका को शामिल किया गया है। वाल्मीकि रामायण के 5वें सर्ग में अयोध्या पुरी का वर्णन विस्तार से किया गया है।