1. कुछ लोगों का मानना है कि शबरी का आश्रम दंडकारण्य क्षेत्र में अर्थात छत्तीसगढ़ में है। माता शबरी का वह आश्रम छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण में स्थित है। महानदी, जोंक और शिवनाथ नदी के तट पर स्थित यह मंदिर प्रकृति के खूबसूरत नजारों से घिरा हुआ है। इस स्थान को पहले शबरीनारायण कहा जाता था जो बाद में शिवरीनारायण के रूप में प्रचलित हुआ। शिवरीनारायण छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में आता है। यह बिलासपुर से 64 और रायपुर से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दोनों ही शहरों से यहां सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
2. परंतु छत्तीसगढ़ में शबरी का आश्रम नहीं हो सकता क्योंकि रामायण में जिस स्थान पर शबरी की कुटिया के होने के बाद कही गई है वह मतंग ऋषि के आश्रम के पास थी। शबरी मतंग ऋषि के आश्रम में कुटिया बनाकर रहती थी और सभी ऋषि मुनियों की सेवा करती थी। आजकल शबरी की कुटिया को शबरी का आश्रम कहा जाता है, जो कर्नाटक में स्थित है।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में पंपा सरोवर के पास मतंग ऋषि का आश्रम है। शबरी या मतंग ऋषि के आश्रम के क्षेत्र को प्राचीनकाल में किष्किंधा कहा जाता था। यहां की नदी के किनारे पर हम्पी बसा हुआ है। केरल का प्रसिद्ध 'सबरिमलय मंदिर' तीर्थ इसी नदी के तट पर स्थित है। भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है विश्व प्रसिद्ध सबरीमाला का मंदिर। यहां हर दिन लाखों लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है जो भगवान शिव और मोहिनी के पुत्र हैं।