उस समय चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुईं। त्र्यैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी ने प्रसन्न होकर विष्णुजी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रुक सका। देवी बगलामुखी को बीर रति भी कहा जाता है, क्योंकि देवी स्वयं ब्रह्मास्त्ररूपिणी हैं। इनके शिव को एकवक्त्र महारुद्र कहा जाता है इसीलिए देवी सिद्ध विद्या हैं। तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं। गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं।