पर जैसे ही वे आगे बढ़े, बैल ने उन्हें मारा और वे गिर पड़े। किसी तरह से वे वापस वहां जा पहुंचे, जहां श्रीरामचरित मानस लिख रहे थे। सीधे चौपाई पकड़ी और जैसे ही उसे फाड़ने जा रहे थे कि श्री हनुमानजी ने प्रकट होकर कहा- तुलसीदासजी, ये क्या कर रहे हो?
हनुमानजी ने मुस्कराकर कहा- चौपाई तो एकदम सही है। आपने बैल में तो भगवान को देखा, पर बच्चे में क्यों नहीं? आखिर उसमें भी तो भगवान थे। वे तो आपको रोक रहे थे, पर आप ही नहीं माने।