यह सुनकर युधिष्ठिर अत्यन्त दु:खी हुए। उन्होंने माता कुन्ती से कहा कि आपने इतनी बड़ी बात छिपाकर हमें हमारे ज्येष्ठ भ्राता का हत्यारा बना दिया। तत्पश्चात् समस्त नारी जाति श्राप देते हुए युधिष्ठिर बोले - 'मैं आज से समस्त नारी जाति को श्राप देता हूं कि वे अब चाहकर भी कोई बात अपने ह्रदय में नहीं छिपा सकेंगी।' जनश्रुति है कि धर्मराज युधिष्ठिर के इसी श्राप के कारण स्त्रियां कोई भी बात छिपा नहीं सकतीं।