राजा ने पूछा, 'देवी! आप कौन है और इस समय कहां जा रही हैं?'
उसने उत्तर दिया, 'मैं लक्ष्मी हूं और यहां से जा रही हूं।' राजा ने कहा, 'ठीक है, शौक से जाइए।'
उसने उत्तर दिया, 'मैं कीर्ति हूं और यहां से जा रही हूं।'
राजा ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा, 'जैसी आपकी इच्छा।'
थोड़ी देर के बाद एक पुरुष भी उनके सामने से होकर जाने लगा।
राजा ने, उससे भी प्रश्न पूछा, 'आप कौन हैं?'
राजा सत्यदेव ने पूछा, 'आप कैसे लौट आईं?' दोनों देवियों ने कहा, 'हम उस स्थल से दूर नहीं जा सकतीं, जहां पर सत्य रहता है।'