Pradosh Vrat Katha : प्रतिमाह त्रयोदशी के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाता है। ज्येष्ठ माह की त्रयोदशी यानी 12 जून 2022 रविवार को शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत रखा जाएगा। ज्येष्ठ माह की त्रयोदशी के प्रदोष को पचमढ़ी में बड़ा महादेव पूजन दिवस मनाया जाता है। आओ जानते हैं प्रदोष व्रत कथा, क्यों शिवजी ने चंद्र को किया मस्तक पर धारण।
व्रत कथा : पद्म पुराण की एक कथा के अनुसार चंद्रदेव जब अपनी 27 पत्नियों में से सिर्फ एक रोहिणी से ही सबसे ज्यादा प्यार करते थे और बाकी 26 को उपेक्षित रखते थे जिसके चलते उन्हें उनके ससुर जी राजा दक्ष ने श्राप दे दिया था। शाप के चलते उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। ऐसे में अन्य देवताओं की सलाह पर उन्होंने शिवजी की आराधना की और जहां आराधना की वहीं पर एक शिवलिंग स्थापित किया।
कहते हैं कि व्रत रखने से चंद्र अंतिम सांसें गिन रहे थे (चंद्र की अंतिम एकधारी) तभी भगवान शंकर ने प्रदोषकाल में चंद्र को पुनर्जीवन का वरदान देकर उसे अपने मस्तक पर धारण कर लिया अर्थात चंद्र मृत्युतुल्य होते हुए भी मृत्यु को प्राप्त नहीं हुए। पुन: धीरे-धीरे चंद्र स्वस्थ होने लगे और पूर्णमासी पर पूर्ण चंद्र के रूप में प्रकट हुए।