Shakambari devi katha : दुर्गा के अवतारों में एक हैं शाकंभरी देवी, पढ़ें पौराणिक कथा

Shakambhari Mata Story
 
मां शाकंभरी देवी दुर्गा के अवतारों में एक हैं। दुर्गा के सभी अवतारों में से मां रक्तदंतिका, भीमा, भ्रामरी, शताक्षी तथा शाकंभरी प्रसिद्ध हैं। नवरात्रि में इनकी कथा का पाठ अवश्‍य करना चाहिए। 
 
मां शाकंभरी की पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय जब पृथ्‍वी पर दुर्गम नामक दैत्य ने आतंक का माहौल पैदा किया। इस तरह करीब सौ वर्ष तक वर्षा न होने के कारण अन्न-जल के अभाव में भयंकर सूखा पड़ा, जिससे लोग मर रहे थे। जीवन खत्म हो रहा था। उस दैत्य ने ब्रह्माजी से चारों वेद चुरा लिए थे।
 
तब आदिशक्ति मां दुर्गा का रूप मां शाकंभरी देवी में अवतरित हुई, जिनके सौ नेत्र थे। उन्होंने रोना शुरू किया, रोने पर आंसू निकले और इस तरह पूरी धरती में जल का प्रवाह हो गया। अंत में मां शाकंभरी दुर्गम दैत्य का अंत कर दिया।
 
एक अन्य कथा के अनुसार शाकुम्भरा (शाकंभरी) देवी ने 100 वर्षों तक तप किया था और महीने के अंत में एक बार शाकाहारी भोजन कर तप किया था। ऐसी निर्जीव जगह जहां पर 100 वर्ष तक पानी भी नहीं था, वहां पर पेड़-पौधे उत्पन्न हो गए। 
 
यहां पर साधु-संत माता का चमत्कार देखने के लिए आए और उन्हें शाकाहारी भोजन दिया गया। इसका तात्पर्य यह था कि माता केवल शाकाहारी भोजन का भोग ग्रहण करती हैं और इस घटना के बाद से माता का नाम 'शाकंभरी माता' पड़ा। 

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