यह कहानी हमें हिमाचल की लोककथाओं में मिलती है। जनश्रुति के आधार पर यह माना जाता है कि होलिका की एक प्रेम कथा भी थी। उसे वहां पर एक बेबस प्रेयसी के दौर पर देखा जाता है, जो अपने प्रियतम से मिलने के खातिर मौत को गले लगा लेती है। होलिका महान असुरराजा हिरण्यकश्यप की बहन थी और उसका विवाह इलोजी से तय हुआ था और उसका विवाह पूर्णिमा को तय हुआ था। हालांकि उसी समय हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रहलाद की विष्णु भक्ति से परेशान था। सभी उपाय करने के बाद भी उसे वह मौत के घाट उतार नहीं पा रहा था। तब उसने होलिका के सामने प्रहलाद को अग्नि में जलाने का प्रस्ताव रखा, जिसे होलिका ने मानने से इनकार कर दिया।