माता का सिर काट दिया : भृगुवंशी परशुरामजी के पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। कहते हैं कि परशुराम के 4 बड़े भाई थे। एक दिन जब सभी पुत्र फल लेने के लिए वन चले गए, तब परशुराम की माता रेणुका स्नान करने गईं। कुछ मान्यता के अनुसा वे नदी से कलश भरने के लिए गई थीं। जिस समय वे नदी से आश्रम को लौट रही थीं, उन्होंने गन्धर्वराज चित्रकेतु (चित्ररथ) को अप्सराओं के सात जलविहार करते देखा।
इतने में ही वहां परशुराम के बड़े भाई रुक्मवान, सुषेणु, वसु और विश्वावसु भी आ गए। महर्षि जमदग्नि ने उन सभी से बारी-बारी अपनी मां का वध करने को कहा, लेकिन मोहवश किसी ने ऐसा नहीं किया। तब मुनि ने उन्हें श्राप दे दिया जिसके चलते उनकी चेतना और विचार शक्ति नष्ट हो गई। फिर वहां परशुराम आए और तब जमदग्नि ने उनसे यह कार्य करने के लिए कहा। उन्होंने पिता का आदेश पाकर तुरंत अपनी मां का वध कर दिया। माता रेणुका कोंकण नरेश प्रसेनजित की पुत्री थीं।