सिंधु की अब तक की प्रैक्टिस तय करेगी उनके मेडल का रंग

सिंधु के कोच गोपीचंद कहते हैं कि एक खिलाड़ी पर उतना प्रेशर होता है जितना वह लेता है। यह दबाव उनकी जिम्मेदारी और उत्साह का नतीजा होता है। कोच के तौर पर वे मानते हैं कि सिंधु की प्रेक्टिस बहुत तगड़ी है। पिछले कुछ सालों में उनकी मेहनत बताई नहीं जा सकती। सिर्फ मेडल का रंग ही देश को उनकी प्रेक्टिस की कहानी कह सकता है। 


 
 
रियो ओलंपिक में पीवी सिंधु का गोल्ड मेडल के लिए मुकाबला स्पेन की खिलाड़ी के
साथ है। सिंधु के कोच पी गोपीचंद हैं। 
 
गोपीचंद 2001 में ऑल इंडिया इंग्लैंड टूर्नामेंट जीत चुके हैं। गोपीचंद ने अब तक शांत, धीर, गंभीर कोच की भूमिका बखूबी निभाई है। रियो के लिए टीम के निकलने के पहले तक गोपीचंद ने साइना नेहवाल का नाम ही आगे किया। ताश के बेहतरीन खिलाड़ी की तरह अपने सबसे अच्छे पत्तों का जिक्र तक उनकी जुबान पर नहीं आया। 
 
सिंधु स्पेन की मरिन के साथ अब तक कुल छह मैच खेल चुकी हैं जिसमें सिर्फ दो बार उनकी जीत हुई है। बाकि मैच मरिन ने जीते हैं। इस तरह अगर देखा जाए तो मरिन सिंधु से खेलकुशलता में बहुत आगे हैं परंतु सिंधु अब अलग ही खेल दिखा रही हैं। 
 
सेमीफाइनल में जापान की ओकुहारा के खिलाफ जीत के बाद भी गोपीचंद ने कुछ अधिक कहना ठीक नहीं समझा। उन्होंने सिर्फ कि कहा देखते हैं हम कितना दूर जाते हैं। 
 
सिंधु और मरिन, करियर डायरी : सिंधु ने गोल्ड मेडल मैच के करीब आने तक 11 फाइनल खेले हैं। इनमें से उनकी छह में जीत हुई जो बहुत अच्छा नतीजा है। वहीं स्पेन की खिलाडी कैरोलिना मरिन मझीं हुई खिलाड़ी हैं। वह कोर्ट का इस्तेमाल बेहतरीन करती हैं। 22-साल की मरिन दुनिया की बेडमिटंन रैकिंग में पहले स्थान पर दो बार जगह बना चुकी हैं। एक बार फाइनल में साइना नेहवाल को हरा चुकी हैं। 
 
मरिन का खेल : मरिन के पसंदीदा खिलाड़ी टेनिस स्टार राफेल नडाल हैं और वे अपने खेल को उनके खेल के करीब मानती हैं। उनका कहना है कि वे अंत तक लड़ती हैं। वह अपने प्रतिदंद्वी को जता देती हैं कि उन्हें जीतना है। उन्हें कंधे की एक चोट परेशान कर रही है। इस चोट के चलते एक खास शॉट वह खेल नहीं पा रहीं।  

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