भारतीय टीम की ओर से रुपिंदर पाल ने 23वें मिनट में एकमात्र गोल किया जबकि निकलस वेलेन ने 18वें मिनट और और क्रिस्टोफर रूह्र ने 60वें मिनट में जर्मनी के लिए गोल किए। मुकाबला बेहद रोमांचक और कड़ा रहा तथा दोनों ही टीमों ने कमाल के अंदाज में अपने-अपने गोल का बचाव किया, लेकिन अंतिम सेकंड्स में क्रिस्टोफर के मैदानी गोल ने भारत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
जैसे ही क्रिस्टोफर का शॉट गोल में घुसा, भारतीय खिलाड़ियों और समर्थकों के चेहरे पर निराशा झलकने लगी। पहला क्वार्टर 0-0 से गोलरहित रहने के बाद 2012 लंदन ओलंपिक की स्वर्ण विजेता टीम जर्मनी के निकोलस ने 18वें मिनट में गोल कर 1-0 की बढ़त बनाई लेकिन रुपिंदर ने 23वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर पर सटीक शॉट लगाते हुए स्कोर 1-1 से बराबर कर दिया।
भारत को 40वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन उसे गोल में तब्दील करने में उसे सफलता नहीं मिल सकी। अंतिम मिनटों से कुछ समय पहले तक ऐसा लग रहा था कि भारत यह मैच ड्रॉ कराने में कामयाब रहेगा लेकिन क्रिस्टोफर ने 60वें मिनट में गोल कर उसकी उम्मीदों पर पानी फेरने का काम किया तथा जर्मनी ने यह मुकाबला 2-1 से अपने नाम कर लिया।