नरिन्दर ने बताया कि उनके लिए यह बड़े गर्व की बात है कि ओलंपिक में वे ऐसे खेल में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे जहां खिलाड़ी के तौर पर भारत की कोई भागीदारी नहीं है। सेना में 28 साल की नौकरी के बाद 1997 में सेवानिवृत होने वाले नरिन्दर को उनके प्रशंसक 'नैरी' के नाम से जानते हैं। पंजाब के जालंधर के नरिन्दर इस समय गुड़गांव में रहते हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे ओलंपिक के लिए वालेंटियर अधिकारी के रूप में चुना गया है और ओलंपिक में इसे एक तरह से अपने देश के दूत के रूप में देखा जाता है।" उन्होंने कहा कि "किसी समय हमारे देश में घुड़सवारी की बहुत शानदार परंपरा रही थी लेकिन धीरे धीरे यह परंपरा समाप्त होती जा रही है। अब स्थिति यह है कि ओलंपिक जैसे खेलों में हमारा कोई प्रतिनिधित्व नहीं होता है।
यह ऐसा खेल है जिसमें भारत अच्छा प्रदर्शन कर सकता है, लेकिन इसे प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है। रियो ओलंपिक में घुड़सवारी के मुकाबले ओलंपिक इक्वेस्ट्रियन सेंटर में होने हैं और 43 देशों के घुड़सवार ओलंपिक में उतरेंगे। (वार्ता)