तुझ में खोकर

जिज्ञासा मिश्रा

तुझ में खो कर भूल जाऊँ मैं जहाँ सारा,
तूफ़ां में कश्ती को मिल जाए किनारा......

टूटकर बिखर जाऊँ तेरी बाहों में,
सुन ले हर कोई नाम तेरा, मेरी आहों में...

दूरियों का ग़म तड़पाए हर लम्हा,
जिन्दगी न गुज़र सकेगी अब तन्हा...

आकर थाम ले मेरा दामन तू,
तपते हुए मन पर बरस जा, बनके सावन तू.....

गुज़रे हुए मौसम फिर न आएँगे,
जाते हुए लम्हे तेरी याद दिलाएँगे...............

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