तुम्हारा चले जाना
दुखद नहीं है
पीड़ा तो इस बात की है कि
तुम अपने साथ
मेरे कुछ अहम 'रिश्ते'
मैंने हमेशा चाहा कि
तुम मुझे पुकारो
किसी स्नेहिल नाम से
लेकिन तुम
मैंने कड़वी यादों को भी
सहेज कर रखा है
उस दिन के लिए जब किसी मोड़ पर
तुम मुझे मिलोगे
और यथासंभव स
तुम्हें क्षमादान देने के उपरांत भी
तुम्हें भूल नहीं सकी हूँ... शायद,
तुम्हें भूलने के लिए
मुझे प्रति...
तुम्हें भूलने की
एक मामूली कोशिश
की है मैंने,
जानते हो?
अतीत सुलगने लगा है
मैं दहलीज पर सोचती हूँ
दहलीज से परे भी
मुझे
दहलीज की चिंता सताती है
फूलों की तरह महकती है
और इस तपन में भी
सावन की फुहार सी लगती है
याद तेरी...
भरी दुनिया में रहकर भी खुद को तन्हा पाता हूँ मैं
, जानता हूँ उम्र भर के लिए कोई साथ नहीं देता...
मैंने अवश होकर
द्वार खोल दिया
हृदय का,
बस इसी वक्त
तुम्हारी यादें
रूठकर चली गईं...
हृदय की शांति के लिए
तो एक नन्ही सी
बगिया ही पर्याप्त है
जिसमें भावसुमनों की
सुरभि प्रसारित होती र
मैंने हमेशा चाहा कि
तुम मुझे पुकारो
किसी स्नेहिल नाम से
लेकिन तुम
अकेली बैठी आँगन में
सोच रही थी
उस दर्द को
जो तुमसे मिला
सावन की वह बदली,
जो खुद नहीं जानती
कब बरस पड़ेगी,
बरसेगी भी,
या हकीकत की आँधी से...
मुझे भिगो रही हैं
और मैं
तुम्हारी यादों को
खोलकर फैलाने के लिए...
अब तक याद है
मुझे वो बरसात
जब मेघों की गर्जन और
बिजली की कड़कड़ाहट से सहम गए थे हम...
आखिर क्यों हमें छोड़कर चले गए,
रिश्तों की दीवार को तोड़कर चले गए..।
सिर्फ अकेला आज मैं नहीं रोया,...