रात रो-रोकर कटी है कहीं पर,
कहीं सुबह हो रही विदाई है।
किसी के अरमानों का गला गया घोंटा,
किसी के अरमान सजकर आए हैं।
जिंदगी किसी की बन गई कांटे,
फूल किसी की जिंदगी के मुस्कुराए हैं।
अश्क आंखों में भर आए किसी के,
हंसी ओठों पे किसी के आई है।
किसी की फूलों से सज गई अर्थी,
किसी के गजरों की खुशबू आई है।
रात अमावस की किसी की आई है,
किसी ने हाथों में मेहंदी रचाई है।
आंख रो-रोकर लाल हुई किसी की,
किसी के लबों पर हंसी आई है।