कुछ ही दिनों पूर्व प्रेम संबंधों को लेकर चर्चा में आए हरियाणा के उपमुख्यमंत्री के पद पर शोभायमान रहे चंद्रमोहन उर्फ आज के चाँद मोहम्मद और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में उपमहाधिवक्ता पद पर रही अनुराधा बाली उर्फ फिजा का प्यार का मामला आज फिर गरमाया है। कहते हैं इंसान के कर्म और प्यार किसी को नहीं बख्शता। और यही इन दोनों के साथ भी हुआ।
कहा जा रहा है कि आज फिजा ने नींद की 33 गोलियाँ खाकर खुदकुशी करने की कोशिश की और नाकामयाब रही। यह तो उन दोनों को पहले ही पता होना चाहिए था कि जिस हालात में और धर्म परिवर्तन कर नाम बदलकर उन्होंने अपने प्यार को पाने के लिए जो कुछ किया इसका हश्र ऐसा ही होना था। देश, समाज और उनके संस्कारों के चलते ऐसे हालात निर्मित होना बहुत आम बात है।
लेकिन सवाल तो अब है, वह यह कि प्यार की पायदान पर बनी इस प्रेम कहानी में दो बच्चे के पिता द्वारा किसी दूसरी लड़की से शादी रचाना, धर्म परिवर्तन कर अपना नाम बदलना और फिर मीडिया में चर्चारत रहना। और उधर फिजा ने आत्महत्या की कोशिश करके उस प्यार को बदनाम कर दिया। हालात कुछ भी रहे हों अगर प्यार किया है, शादी की है तो फिर मरने की क्या जरूरत है? अब तो होना यह चाहिए था कि जो भी वक्त सामने आए उसका दोनों डटकर मुकाबला करें।
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प्यार करना बहुत आसान होता है, लेकिन वास्तव में उसे निभाना बहुत टेढ़ी खीर है और यही चाँद और फिजा के मामले में भी हुआ। जैसा किसी हिंदी फिल्म में जब एक प्रेमी अपने माता-पिता के बगैर अनुमति के किसी लड़की से ब्याह रचा लेता है तो उसे घर, जमीन, जायदाद और समाज से बेदखल किया जाता है। इस सच्ची प्रेम कहानी का कुछ अंश भी ऐसा ही है। दोनों के चर्चा में आने के बाद चंद्रमोहन को घर, जायदाद और अपने पद से बेदखल किया गया वहीं फिजा को भी अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा परन्तु अचानक आखिर ऐसा क्या हो गया कि चंद्रमोहन जैसे सूझबूझ रखने वाले होनहार एवं समझदार राजनैतिक व्यक्ति को एक ऐसा कदम उठाना पड़ा जिसके बदले में उन्हें सर्वत्र आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। इस बात के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
ऐसा नहीं है कि पहली बार किसी ने यह सब किया है, आप बड़ी-बड़ी शख्सियतों को ले लीजिए जैसे धर्मेन्द्र, किशोर कुमार, बोनी कपूर हों या और भी कोई नामचीन को लें या किसी आम आदमी को। ऐसे प्यार के किस्से आपको हर दो घर के बाद सुनने को मिल जाएँगे।
ऐसा बहुत लोग करते हैं, फर्क सिर्फ इतना होता है कि समाज का हर वो शख्स जिसका किसी दूसरे के साथ नाजायज रिश्ता रहा हो या फिर प्यार हो वह उस रिश्ते को छिपाए फिरता है। यहाँ तक कि समय आने पर सारा दोष दूसरे के सिर पर मढ़ने से भी पीछे नहीं हटता। ऐसे लोगों से तो चंद्रमोहन काफी अच्छे हैं जिन्होंने जो किया, अगर किसी से प्यार करने का गुनाह भी किया तो उस प्यार को समाज में सरेआम नाम और इज्जत दी। हालाँकि उनके घर में उस समय जो माहौल रहा होगा वह बात अलग है।
हुस्न और इश्क का जादू चंद्रमोहन के सिर चढ़कर इस कदर बोला कि वे भी स्वयं को इश्क और फिजा के हुस्न के शिकंजे से मुक्त न रख सके। और अब फिजा ने खुदकुशी की कोशिश करके इस मामले को नया मोड़ दिया है। अब देखना यह है कि इश्क के दरिया में डुबकी लगाने के बाद चंद्रमोहन उर्फ चाँद मोहम्मद तथा उनकी नई हमसफ़र अनुराधा (फिजा) अपनी नई मंज़िलों की दूरियाँ किन हालातों में तय कर पाते हैं। सलीम और अनारकली की प्रेम कहानी तो अब बहुत पुरानी हो गई है, मोहब्बत के लिए तख्तो-ताज छोड़ने वालों की श्रेणी में अब नया नाम 'चाँद और फिज़ा' का है।
करीब पाँच साल से प्यार के परवान चढ़े ये दो प्रेमी जब एक-दूसरे के हुए तो... एक तरफ कोई चंद्रमोहन को अगवा कर घर से उठा ले जाता है और दूसरी तरफ फिजा नींद की गोलियाँ खाकर खुदकुशी की कोशिश करती है। इस प्रेम कहानी पर अगर फिल्में बनाने की कवायदें होने लगें तो अचरज नहीं होना चाहिए।