रोमांस

तुम्हारा एक चुटकी प्यार दब रहा है एक मुट्ठी गुस्से के नीचे तुम्हारी एक पल की झलक धुँधला रही है ...
बीते दिन की कच्ची यादें चुभती है बन कर शूल, मत आना साथी लौटकर अब गई हूँ तुमको भूल।
सिर्फ, एक छोटा-सा पल तुम्हें लेकर आया मुझ तक, और जैसे मैंने जी लिया एक पूरा युग ...
सारे रंग ख्यालों को ए काश! कोई तस्वीर मिले ख्वाबों के इस सावन को इस बार कोई ताबीर मिले ...

जब-जब मानसून बरसा

मंगलवार, 31 अगस्त 2010
मानसून नहीं बरसा है यह इसके साथ, बस बरसे हो तुम कैसे बरसता मानसून जब मेरी मन-धरा से तुम हो गए हो