समुद्र मंथन के दौरान क्या कोई ऐसा रस निकला था जिसे पीकर देवताओं ने अमरता को प्राप्त कर लिया था? यदि समुद्र से ऐसा कोई रस निकल सकता है तो क्या आज नहीं निकल सकता? जरूरी है कि समुद्र से ही निकले? अमृत कलश के लिए देव और दैत्यों के बीच भयंकर युद्ध हुआ था। सचमुच अमृत का निकलना एक रहस्य ही है। हालांकि वैज्ञानिक ऐसी दवा बनाने में लगे हैं जिसे पीकर व्यक्ति अधिक समय तक जवान बना रह सके।
इंडोनेशिया के जावा द्वीप में सदियों पुराने एक हिन्दू मंदिर के अवशेषों में छुपाया हुआ एक प्राचीन शिवलिंग मिला है। यह शिवलिंग स्फटिक से बना है और इसमें पानी जैसा कोई द्रव्य भरा है। सबसे आश्चर्य की बात है कि इसके अंदर भरा हुआ पानी सदियां बीत जाने पर भी नहीं सूखा है। पुरातत्वविद कहते हैं कि इस बर्तन में न सूखने वाले पानी के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी हो सकता है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये अमृत ही है। कई विद्वान इसे समुद्र में किए अमृत मंथन से निकला अमृत बता रहे हैं।
कंडी सुकुह मंदिर के पुनर्संरक्षण इकाई के मुखिया डैनी वजाहु हिदादत कहते हैं कि वाकई आश्चर्य वाली बात है कि सैकड़ों सालों से इस बर्तन में रखा हुआ पानी अब भी नहीं सूखा है। दरअसल, जिस बर्तन में ये शिवलिंग पाया गया है, वो उन कई जारों में से एक है, जो मंदिर के अंदर बने एक स्मारक के नीचे छुपाकर रखे गए थे। …कहते हैं कि हिमालय में रहने वालों की उम्र औसत इंसान से ज्यादा होती है। वेद, उपनिषद, गीता, महाभारत, पुराण, योग और आयुर्वेद में अमरत्व प्राप्त करने के अनेक साधन बताए गए हैं। आयुर्वेद में कायाकल्प की विधि उसका ही एक हिस्सा है।
आपने अमरबेल का नाम तो सुना ही होगा, जो कभी नहीं मरती। विज्ञान चाहता है कि मनुष्य भी इसी तरह कायापलट करके जिंदा बना रहे। वैज्ञानिकों का एक समूह चरणबद्ध ढंग से इंसान को अमर बनाने में लगा हुआ है। समुद्र में एक विशेष प्रकार की जेलीफिश होती है जिसे टयूल्रीटोप्सिस न्यूट्रीकुला कहते हैं। यह मछली तकनीकी दृष्टि से कभी नहीं मरती है। हां, यदि आप इसकी हत्या कर दें या कोई अन्य जीव जेलीफिश का भक्षण कर ले, फिर तो उसे मरना ही है। इस कारण इसे इम्मोर्टल जेलीफिश भी कहा जाता है। जेलीफिश बुढ़ापे से बाल्यकाल की ओर लौटने की क्षमता रखती है। अगर वैज्ञानिक जेलीफिश की अमरता के रहस्य को सुलझा लें, तो मानव अमर हो सकता है।