तो आपको मिल सकता है ये गुप्त खजाना, मालामाल हो जाएंगे...

कहते हैं कि देशभर की जमीन, गुफा में, खेत में, डेर पर, तलाब में, झील में या पहाड़ी पर आज भी कहीं न कहीं सोने का गढ़ा या जेवहरातों से भरा चांदी का घड़ा दबा हुआ है लेकिन यह किस्मत वालों को ही मिला है और आगे भी किस्मत वालों को ही मिलेगा। सवाल यह उठता है कि आपकी किस्मत में है कि नहीं? यह हम जानेंगे...
 
भूमिका : प्राचीन भारत में इतना सोना कहां से आया जबकि प्राचीनकाल में खनन किए जाने का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। कहते हैं कि भगवान शंकर ने सोने की लंका बनवाई थी और फिर उस लंका के विध्वंस के बाद उसका सोना भगवान श्रीराम ने देशभर में लुटा दिया था। प्राचीनकाल के लोगों के शरीर पर तीन-चार किलो सोना लदा होना सामान्य बात थी। स्वर्ण मुद्राएं चलती थी और लोग सोने का मुकुट पहनते थे। मंदिरों में टनों सोना रखा रहता था। सोने के रथ बनाए जाते थे और प्राचीन राजा-महाराजा स्वर्ण आभूषणों से लदे रहते थे।
 
जानिए ऐसे बनाया जा सकता है सोना...
 
आखिर भारतीय लोगों और राजाओं के पास इतना सोना आया कहां से था? कुछ लोग मानते हैं कि प्राचीन भारत में सोना बनाने की एक रहस्यमयी विद्या थी। इस विद्या के दम पर ही भारत ने अधिक मात्रा में सोना बना लिया था। बगैर किसी 'खनन' के बावजूद भारत के पास अपार मात्रा में सोना था। भारत सोने का महत्व जानता था इसलिए उसने इसे छुपाने के लिए भी पुख्‍ता बंदोबस्त किए थे। 
 
क्या अपार सोना होने के कारण विदेशी लोग भारत को सोने की चिढ़िया कहते थे? विदेशियों को यह तो मालूम ही था कि भारत में अकूत मात्रा में सोना, धन, दौलत आदि सबकुछ है। जब भारत एकछत्र राज में शक्तिशाली था तब तक वह एक विश्व शक्ति था लेकिन जैसे ही आपसी फूट का विस्तार हुआ भारत पर आक्रमणों का दौर शुरू हो गया।
 
पहले सिकंदर आया था फिर चंगेज खां इसके बाद भारत पर पहला मुस्लिम आक्रमणकारी था मुहम्मद बिन कासिम। उसके बाद मुस्लिम आक्रमणकारियों और लुटेरों की फौज की फौज भारत में घुसी और भारत को तहस-नहस कर लूट ले गई। कहा जाता है कि सोमनाथ का मंदिर मोहम्मद गजनवी ने लूटा था। उसमें इतना सोना था कि वह उसे कभी पूरा लुट कर नहीं ले जा सका, इसलिए वहां बार बार आक्रमण होते रहे। बाबर भी यहां लूटने ही आया था। हालांकि उसने लूटने के साथ और भी बहुत कुछ किया था।
 
मध्यकाल में गौरी, गजनी, तेमूर और अंग्रेज लूटेरे लाखों टन सोना लूट कर ले गए फिर भी भारतीय मंदिरों और अन्य जगहों पर आज भी टनों से सोना है। कहते हैं कि बिहार की सोनगिर गुफा में लाखों टन सोना आज भी रखा हुआ है। दक्षिण भारत के पद्मनाभ मंदिर में छिपा था 5,00,000 करोड़ का खजाना है जिसे गिनने में आधुनिक मशीनें और कई लोगों की टीमें लग दी गई थी। हालांकि अभी भी वहां एक ऐसा खजाना छुपा है जिसके बारे में कोई नहीं जानता। क्योंकि एक आखरी तहखाना अभी भी बंद है। वह इसलिए कि मंदिर प्रशासन और भक्तजनों को किसी अननोही घटना के होने का डर है।
 
यह सच है कि दुनियाभर की जमीन, समुद्र या गुफाओं के अंदर अभी भी ऐसा खजाना दबा पड़ा है, जहां आधुनिक इंसान की नजर अभी तक नहीं गई है। सोना, चांदी, जेवरात, हीरे और मोती के अलावा कई महत्वपूर्ण धातुएं और सोने-चांदी के सिक्के भी इतने दबे पड़े हैं कि गिनते-गिनते जिंदगी गुजर जाए।
 
अटलांटिक महासागर में खजाने की खोज करने वाली एक प्राइवेट कंपनी ने 200 टन चांदी की सिल्लियां ढूंढ़ निकाली थीं। आधुनिक इतिहास में समुद्र की तली में मिला यह अब तक मिला सबसे बड़ा खजाना है। इस खजाने की कीमत 23 करोड़ डॉलर आंकी गई है जिसमें से 80 प्रतिशत हिस्सा उस कंपनी का होगा जिसने इस खजाने की खोज की है।
 
आज भी अफ्रीका के जंगलों में लोग सोने और खजाने की खोज में जाते हैं। आज भी धरती के दबी पड़ी हैं कई प्राचीन सभ्यताएं और उनके खजाने। आज भी धरती के विभिन्न इलाकों में बेशुमार धन और दौलत दबी पड़ी है‍ जिसे ढूंढने के लिए लोग न मालूम क्या-क्या उपाय कर रहे हैं। रातोरात करोड़पति बनने के लिए कुछ लोग इसी रास्ते को अपनाते हैं। 
 
नोट : इस आलेख में आगे दी जा रही जानकारियों पर यह दावा नहीं किया जा सकता है कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं और इसे अपनाने से सटीक परिणाम मिलेगा। यह मान्यताओं पर आधारित और मात्र जानकारी हेतु है। इन्हें मानने या अपनाने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल जरूर करें।
 
अगले पन्ने पर जानिए, आखिर कहां मिलेगा खजाना?

लोगों को मिला खजाना : ऐसे भी किस्से देखे-सुने हैं कि किसी ने पुराना मकान खरीदा और उसे बनवाना शुरू किया। भाग्य कहें या परिश्रम वह अपने व्यवसाय में अमीर हो गया तो लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया कि खुदाई में उनको खजाना मिला होगा। ऐसे भी किस्से सुनने को मिले हैं कि लोगों को उनके घरों में सोने या चांदी का घड़ा मिला जिसमें गिन्नियां थीं।
 
गड़ा धन : प्राचीनकाल से ही खजाना छिपाने की परंपरा या कहें प्रवृत्ति रही है। राजा-महाराजा, पंडित-पुरोहित और सेठजनों के पास जरूरत से ज्यादा धन-संपत्ति होती थी तो वे उन्हें दूसरे राज्य के राजा और लुटेरों से बचाने के लिए उसे कहीं छिपाकर रखते थे। इसके अलावा लुटेरे भी लूटी गई संपत्ति को आपस में बांटकर फिर उसे कहीं छिपाकर रख देते थे। इसके अलावा आमजन भी अपनी संपत्ति को घर या खेत में गाड़ देते थे। कुछ तो आंगन में गाड़कर उसके ऊपर झाड़ उगा देते या गेहूं की खंडार बना देते।
 
जब भारत में विदेशियों का आक्रमण बढ़ने लगा तब राजाओं और लोगों ने अपनी धन-संपत्ति को सुरक्षित स्थान पर रखना शुरू किया। ईरान और तुर्की के मुस्लिम आक्रमणकारी यहां का सोना और स्त्रियां लूटकर ले जाते थे। इसके लिए वे ऐसे स्थान और राजाओं के इलाके चुनते थे, जो कमजोर होते थे।
 
बाद में जब नवाबों का काल शुरू हुआ तो मुगलों में इधर-उधर से एकत्रित धन-संपत्ति और हीरे-जवाहरातों को ‍अंग्रेजों से छिपाने का प्रचलन बढ़ा। दूसरे विश्वयुद्ध के समय जापान की बमबारी के भय से कई नवाबों और दूसरे लोगों ने भूमिगत कमरे और सुरंगें बनाई थीं, जहां वे अपने खजाने को छिपाकर रखते थे।
 
अंग्रेजों के काल में सबसे ज्यादा नजर सोना, चांदी, हीरे और मोती पर रखी जाती थी। उन्होंने सभी कीमती धा‍तुओं को सरकार की देखरेख में और उसका लेखा-जोखा रखने के आदेश दिए थे जिसके चलते नवाबों और राजाओं सहित सभी ने अपने-अपने खजाने को गाड़ना या छिपाना शुरू कर दिया था।
 
राजा तो अपने खजाने को छिपाने के लिए बाकायदा बड़ी-बड़ी सुरंगें या तहखाने बनाते थे। कुछ तो लंबी-चौड़ी बावड़ियां बनाते थे जिसमें पानी के बहुत अंदर जाने के बाद नीचे गुफा या सुरंगों का निर्माण करते थे, जहां वे सोना चांदी और हीरे जेवरात रखते थे और फिर बाहर से उस सुरंग को बाद कर देते थे। आज भी ऐसी कई बावड़ियां हैं जिनके बारे में कोई नहीं जानता।
 
सोचिए, सुनसान और वीराने में बावड़ी की जरूरत क्या? एक बावड़ी से दूर 20-25 किलोमीटर पर दूसरी बावड़ी होती थी, जो पहली से सुरंग के माध्यम से जुड़ी रहती थी। यह खजाना छिपाने और दूसरे राजाओं के आक्रमण के बाद भागने के काम आती थी।
 
बंजारा और आदिवासी : हिन्दू समाज के बंजारा समुदाय को 'खानाबदोश' मानवों का समुदाय कहा जाता है, जो एक ही स्थान पर बसकर जीवन-यापन करने के बजाय एक से दूसरे स्थान पर निरंतर भ्रमणशील रहते हैं। भारत में वर्तमान में बंजारा समाज कई प्रांतों से निवास करता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश तथा मप्र प्रांतों में बंजारा समाज की संख्या अधिक है। इस समाज को दुनिया के बहुत से रहस्यों का पता रहता है।
 
बंजारा समुदाय के लोग और आदिवासियों के पास भी बहुत मात्रा में सोना, चांदी और जेवरात होते थे। वे उनकी सुरक्षा के लिए अपने डेरे से कहीं दूर जमीन में गाड़ देते थे और उस स्थान पर अपनी कोई 'निशानी' बना देते थे या कुछ लोग उक्त स्थान पर किसी 'देवता' की स्थापना कर देते या पीपल या बड़ का झाड़ लगा देते थे। पहले उनकी महिलाओं को सोने से लदी देखा जा सकता था, लेकिन अब नहीं।
 
कहते हैं कि बंजारा या आदिवासी समाज अपने धन को जमीन में गाड़ने के बाद उस जमीन के आस-पास तंत्र-मंत्र द्वारा 'नाग की चौकी' या 'भूत की चौकी' बिठा देते थे जिससे कि कोई भी उक्त धन को खोदकर प्राप्त नहीं कर पाता था। और जिस किसी को उनके खजाने का पता चल जाता और वह उसे चोरी करने का प्रयास करता तो उसके सामना नाग या भूत से होता था।
 
पिंडारियों का खजाना : कहते हैं पिंडारियों के पास अथाह सोना था, जो उन्होंने व्यापारियों से लूटा था। भारतीय इतिहास की बीती दो सदियां लुटेरे पिंडारी या ठगों की करतूतों से रंगी हुई हैं। पिंडारियों का एक बड़ा वर्ग लूटपाट और ठगी करने लगा था।
 
ये ठग पीढ़ी-दर-पीढ़ी व्यापारियों और यात्रियों के काफिलों को लूटते रहे। मुखबिरों के जरिए लुटेरों और ठगों को इनके लौटने की राह, ठिकाना और माल की खबर लग जाती थी। लूटा हुआ सोना-चांदी को ये लोग खेत में, सुनसान जगहों पर या किसी मंदिर के पास गाड़ देते थे। गिन्नियां, कपड़े और खाने-पीने का सामान खुद अपने पास रखते थे।
 
करीब दो सदी पहले तक ठगों का इतना आतंक था कि अंग्रेजों को उनके खात्मे के लिए अलग दस्ता तैनात करना पड़ा था जिसका नेतृत्व एक आला अंग्रेज अफसर विलियम स्लीमैन करते थे। इतिहास में स्लीमैन का नाम इसलिए हमेशा याद रखा जाएगा, क्योंकि उन्होंने समूचे मध्योत्तर भारत को इन लुटेरों और ठगों के जाल से मुक्ति दिलाई थी। 17वीं सदी के उत्तरार्ध से लेकर 18वीं सदी तक इनका आतंक रहा। खासकर वारेन हेस्टिंग्ज को इनका अंत करने का श्रेय जाता है।
 
कैसे जानें की किस भूमि में खजाना है या नहीं, अगले पन्ने पर...
कौतुक चिंतामणी, रावण संहिता और वराह संहिता के अनुसार निम्नलिखित स्थित में गड़ा धन हो सकता है।
*जिस भूमि के आसपा जल स्रोत नहीं होने पर भी वह भूमि नम दिखाई दे और साथ ही आसपास किसी काले सर्प के होने की निशानी दिखाई दे तो निश्चित ही जान लो की वहां पर गड़ा धन होगा।
*जहां की मिट्टी में कमल के फूल जैसी सुगंध आती है। वहां पर धन संपदा छिपी हो सकती है।
*ऐसा भी कहा जाता है कि किसी स्थान पर बाज, कौआ, बगुला या अन्य बहुत सारे पक्षी बहुतायत में बैठते हैं वहां भी धन संपदा के होने की संभावना प्रबल रहती है।
* ऐसा भी कहते हैं कि यदि किसी एक ही जगह पर बहुत सारे पेड़ हों, लेकिन उनमें भी किसी एक ही जगह पर पक्षी बैठता हों और वह भी यदि कोई बाज और कबूतर एक साथ बैठे हो तो उस जगह पर निश्चित ही भूमि में धन छिपा होता है।
* जहां बारिश होने पर पानी वाली जगह पर घास न उगती हो लेकिन गर्मी के मौसम में धूप में भी घास उगती हो वहां ज़मीन के अंदर संपत्ति की संभावना।
* जहां सांप, नेवले या गिरगट निकलते हों या उनके बिल हों वहां भी गड़ा धन होने की संभावना बतायी जाती है।
* इसी तरह जहां पौधे प्राकृतिक कद से ऊंचे हों वहां भी गड़ी संपत्ति मिलने की संभावना रहती है।
 
अगले पन्ने पर जानिए, क्या आपकी किस्मत में है सोने के जेवहरातों से भरा चांदी का घड़ा?
किस्मत का धन : किस्मत का धन या गड़ा खजाना सिर्फ उसे ही मिलता है जो छल कपट से परे है या जिसके पूर्वज उसके लिए खजाना छोड़कर गए हैं। यदि आपको यह पता चले कि अमुक भूमि के नीचे खजाना है तो भी आप उसे हासिल नहीं कर सकते जब तक की आपका मन निर्मल और आपका उद्येश्य सही नहीं है। उक्त खजाने को निकालने की पूजा विधि भी होती है।
 
* कहते हैं कि यदि आपकी किस्मत में गड़ा हुआ धन लिखा है तो वह कहीं पर भी होगा तो खुद ब खुद चलकर आपके पास तक आ जाएगा या आप अनजाने में ही उसके पास चलें जाएंगे। अत: यह जानना जरूरी है कि जो व्यक्ति खजाने की खोज में निकला है हो सकता है कि उसकी किस्मत में खजाना न हो?
 
* अगर आपको सपने में कमल का फूल दिखे या आप कमल के पत्ते पर स्वयं को भोजन करते देखें तो ये भी इस बात का संकेत है कि आपको भविष्य में कहीं से गड़ा धन मिल सकता है। 
 
*कहते हैं कि गुप्त धन प्राप्ति के लिए माता का एक मंत्र ॐ ह्रीं पद्मावति देवी त्रैलोक्यवार्ता कथय कथय ह्रीं स्वाहा।। इस मंत्र को रात्रि में सोने से पूर्व एक माला रोज जपे। कुछ दिनों बाद गड़ा धन कहां है इसकी आपको स्वप्न में जानकारी मिल जाएगी।
 
* रावण संहिता के अनुसार सपने, शगुन और स्वर विज्ञान के माध्यम से व्यक्ति को यह संकेत मिल जाते हैं कि उसे सोने के जेवहरातों से भरा चांदी का घड़ा या खजाना मिल सकता है। कहते हैं कि कुछ लोगों को सपने में अक्सर सफेद सांप या जलता हुआ दीपक दिखाई देता है। इसका मतलब यह कि उनके लिए को खजाना गाड़ कर गया है, जो संकेत दे रहा है।
 
* रावण और वाराह संहिता के अनुसार अगर आपके भाग्य में गड़ा धन मिलना लिखा है तो आपको सपना आएगा। इस सपने में जिस स्थान पर धन गड़ा हुआ है वहां सफेद नाग दिखाई देगा। ऐसी संभावना होती है कि आपके पितरों ने सफेद नाग के रुप में दर्शन देकर उस जगह का पता बताया है जहां उन्होने आपके लिए धन गाड़ कर रखा होगा। ये सफेद नाग रुपी पितर उस खजाने की रक्षा करते रहते हैं। 
 
* सपने में अगर आपको पुराना मंदिर, आभूषण से भरा बॉक्स, शंख और कलश जैसी चीजें दिखें तब भी समझें कि आपके भाग्य में अचानक कहीं से पैतृक संपत्ति मिलने के योग हैं। 
 
* यदि कोई सपने में देखे कि उस पर कानूनी मुकदमा चलाया जा रहा है, जिसमें वह निर्दोष छूट गया है, तो उसे अतुल धन संपदा की प्राप्ति होती है।
 
* कहीं जाते समय नेवले द्वारा रास्ता काटना या नेवले का दिखना शुभ संकेत होता है। नेवला दिखना धन लाभ का संकेत होता है। आप सोकर उठे हों और उसी समय नेवला आपको दिख जाए तो गुप्त धन मिलने की संभावना रहती है।
 
*किसी जातक की जन्म कुण्डली में यदि चन्द्रमा ग्रह बृहस्पति के स्वामी भाव में युग्म में स्थित हो तो ऐसे जातक को गडे हुए धन की प्राप्ति होती है।
 
*यदि अष्टम भाव का मालिक उच्च का हों तथा धनेश व लाभेश के प्रभाव में हों तो व्यक्ति को निश्चित रूप में अचानक धन लाभ होता हैं। पूर्व समय में इस योग को गढेे धन प्राप्‍ति के लिये अहम माना जाता था। इस योग की खासियत होती हैं कि ये अचानक  प्राप्त होता है।
 
*मस्तिष्क रेखा सही स्थिति में हो यानी कि टूटी या कटी हुई नहीं हो। साथ ही भाग्य रेखा की एक शाखा जीवन रेखा से निकलती हो। हथेलियां गुलाबी व मांसल हो तो करोड़ों में संपदा होने का योग बनता है।
 
अगले पन्ने पर, गड़ा धन प्राप्त करने के तरीके जानिए..
 
*सपनों या दूसरे चिन्हों के आधार पर आपको गड़े धन वाले स्थान का पता चल जाए तो इसके लिए आपको पहले पता करना होगा कि क्या वाकई जहां आप गड़े धन की संभावना देख रहे हैं, वहां गड़ा धन है भी या नहीं? इसके लिए आपको धन का अंदेशा होने वाले स्थान पर 40 दिन तक शु्द्ध घी का दीप एक लौंग के साथ जलाना चाहिए। 40 दिन के अंदर ही आपको सपने में इस बात के संकेत मिल जाएंगे कि आपको उस स्थान की खुदाई करनी है या नहीं? 
 
*दूसरा तरीका ये है कि आप धन होने की संभावना वाली जगह पर एक लकड़ी की चौकी रखें। उस पर पान या पीपल का पत्ता रख कर उस पर एक सुपारी रखें। फिर हल्दी, कुंकुम, अक्षत और सुपारी रख कर घी का दीप जलाएं। ऐसा 40 दिन तक करें। बाद में सारे पत्ते और सुपारी को विसर्जित करते हुए ये प्रार्थना करें कि कोई अज्ञात शक्ति आपको गड़े धन का संकेत दे। अगर उस स्थान पर धन होगा तो आपको सपने में या फिर किसी दूसरी तरह से संकेत मिल जाएगा। 
 
*यदि आपको ऐसा लगता है कि किसी स्थान पर धन गढ़ा हुआ है और आप वह धन प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए एक मंत्र है 'मंत्र: ऊं नमो विघ्नविनाशाय निधि दर्शन कुरु कुरु स्वाहा।' इसे दस हजार बार विधिवत जपने के बाद किसी जानकार से उक्त भूमि की शुद्धि करायी जाती है और वहां से सभी तरह की आपदा को हटाया जाता है। लेकिन यदि जानकार सही नहीं है तो इसके दुष्‍परिणाम भी भुगतने होते हैं।
 
* मान्यता है कि जानबूझकर छिपाकर रखे गए अधिकतर धन के भंडार को मंत्रों से बांधा गया है। ऐसे धन को प्राप्त करने के लिए किसी जानकार से उक्त मंत्रों को जानकर ही उस खजाने को पाया जा सकता है। कहते हैं ऐसे कुछ बंधन के रक्षक कोई भूत या प्रेत भी हो सकते हैं। खजाने के मालिक किसी जानकार से जमीन में गाड़ने के बाद उस जमीन के आस-पास तंत्र-मंत्र द्वारा 'नाग की चौकी' या 'भूत की चौकी' बिठा देते थे। हालांकि ऐसे धन को प्राप्त करना खतरनाक होता है।

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