संपूर्ण जम्बूद्वीप पर स्वायंभुव मनु के पुत्रों के कुल का राज था। ऋषभदेव स्वायंभुव मनु से पांचवीं पीढ़ी में इस क्रम में हुए- स्वायंभुव मनु, प्रियव्रत, अग्नीघ्र, नाभि और फिर ऋषभ।
जम्बूदीप के राजा अग्नीघ्र के नौ पुत्र हुए- नाभि, किम्पुरुष, हरिवर्ष, इलावृत, रम्य, हिरण्यमय, कुरु, भद्राश्व और केतुमाल। राजा आग्नीध ने उन सब पुत्रों को उनके नाम से प्रसिद्ध भूखण्ड दिया।
हरिवर्ष को मिला आज के चीन का भाग, जो प्राचीन भूगोल के अनुसार जंबूद्वीप का एक भाग या वर्ष था। हरिवर्ष का उल्लेख जैन सूत्रग्रंथ 'जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति' और हिन्दुओं के 'विष्णु पुराण' में मिलता है।
हरिवर्ष में निषध पर्वत स्थित था। हरिवर्ष को मेरू पर्वत के दक्षिण की ओर माना गया है। हरिवर्ष उत्तरी तिब्बत तथा दक्षिणी चीन का समीपवर्ती भूखंड जान पड़ता है। महाभारत ग्रंथ में हरिवर्ष के उत्तर में इलावृत का उल्लेख है जिसे जम्बूद्वीप का मध्य भाग बताया गया है। दूसरी ओर हरिवर्ष को मानसरोवर, गंधर्वों के देश और हेमकूट पर्वत (कैलाश) के उत्तर में स्थित माना गया है।
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हरिवर्ण और हिमवर्ष (भारत) के बीच में किंपुरुषवर्ष स्थित था- ‘भारतं प्रथम वर्ष ततः किंपुरुषंस्मृतम्, हरिवर्ष तथैवान्यन्मेरोर्दक्षिणतो द्विज’।- विष्णु पुराण
राजा अग्नीघ्र के दूसरे पुत्र किम्पुरुष को कैलाश पर्वत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और तिब्बत के इलाके मिले।
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राजा अग्नीघ्र के तीसरे पुत्र इलावृत को जम्बूद्वीप का मध्य स्थान अर्थात आज का रशिया मिला। पुराणों के अनुसार इलावृत चतुरस्र है। इलावृत मुख्यरूप से हिन्दू धर्म का प्रमुख केंद्र था, जहां देवता और असुर रहते थे। मूलत: यह क्षेत्र दानवों का था।
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राजा अग्नीघ्र के चौथे पुत्र केतुमाल को कैस्पिरियन सागर के आसपास के इलाके मिले जिसमें आज के तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किंगिस्तान, कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के अलावा अजरबैजान और रूस के कुछ इलाके शामिल हैं।
विष्णुपुराण के अनुसार इस क्षेत्र में चक्षु नदी (वंक्षु या आक्सस या आमू दरया) केतुमाल में प्रवाहित होती है। आमू या चक्षु नदी रूस के दक्षिणी भाग कैस्पियन सागर के पूर्व की ओर के प्रदेश में बहती है। विष्णुपुराण में चक्षु का पश्चिम को ओर और सीता या तरिम नदी को पूर्व की ओर माना है।
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राजा अग्नीघ्र के पहले और सबसे बड़े पुत्र नाभि को भारत के क्षेत्र मिले। भारतवर्ष को सबसे पहले हिमवर्ष कहते थे। बाद में इसका नाम अजनाभ खंड हुआ और फिर नाभिखंड हुआ। बाद में नाभि के पुत्र हुए ऋषभ। राजा और ऋषि ऋषभनाथ के दो पुत्र थे- भरत और बाहुबली। ऋषभदेव अपने पुत्र भरत को सत्ता सौंपकर वन चले गए। बाहुबली पहले ही वन चले गए थे। ऐसे में भरत ने सत्ता संभाली और तब से इस क्षेत्र का नाम भारत हो गया।