ब्रह्म काल और ब्रह्मा काल। हमने दो तरह के काल की चर्चा की। ब्रह्म काल से संबंधित आलेख पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें। ब्रह्म काल में सृष्टि अपने विकास की प्रक्रिया में थी तो ब्रह्मा काल में प्रारंभिक मानवों ने धरती पर प्रजातियों की उत्पत्ति और विकास का कार्य किया। इस काल को पुराणों में वराह काल का प्रारंभ कहा गया है। वराह काल के भी भेद हैं- नील वराह काल, आदि वराह काल और श्वेत वराह काल। यहां आदि वराह काल के देवी, देवता, दैत्य आदि की जानकारी दी जा रही है।
इसे ब्रह्मा का काल भी कहा जा सकता है। आओ जानते हैं कि ब्रह्मा के काल में कौन-कौन थे जिन्होंने धरती पर रहकर हिन्दू धर्म के इतिहास की बुनियाद रखी। ब्रह्मा (आदि वराह) काल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश के काल में प्रमुख रूप से देवता, दैत्य, दानव, राक्षस, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, नाग, भल्ल, वराह आदि प्रमुख जाति के लोग रहते थे।
* त्रिदेव : ब्रह्मा, विष्णु और महेश। (प्रजापति ब्रह्मा 9400 विपू) * त्रिदेवी : सरस्वती, लक्ष्मी, सती। * प्रमुख विष्णु अवतार : आदि भगवान वराह (9,260 विक्रम संवत् पूर्व) * प्रमुख ऋषि : पुलस्त्य, पुलह, अत्रि, वशिष्ट, अंगिरा, भृगु, गौतम, भारद्वाज, कश्यप, आयु, ऋचीकतनय (जमदाग्नि), विश्वामित्र। * सप्तऋषि : 1. अंगिरस, 2. अत्रि, 3. क्रतु, 4. पुलस्त्य, 5. पुलह, 6. मरीचि और 7. वशिष्ठ।
ब्रह्मा के पुत्र- 1 : मान्यता अनुसार मन से मरीचि, नेत्र से अत्रि, मुख से अंगिरस, कान से पुलस्त्य, नाभि से पुलह, हाथ से कृतु, त्वचा से भृगु, प्राण से वशिष्ठ, अंगुषठ से दक्ष, छाया से कंदर्भ, गोद से नारद, इच्छा से सनक, सनंदन, सनातन, सनतकुमार, शरीर से स्वायंभुव मनु, ध्यान से चित्रगुप्त आदि।
ब्रह्मा के पुत्र- 2 : विश्वकर्मा, अधर्म, अलक्ष्मी, 8 वसु, 4 कुमार, 7 मनु, 11 रुद्र, पुलस्य, पुलह, अत्रि, क्रतु, अरणि, अंगिरा, रुचि, भृगु, दक्ष, कर्दम, पंचशिखा, वोढु, नारद, मरीचि, अपांतरतमा, वशिष्ट, प्रचेता, हंस, यति आदि मिलाकर कुल 59 पुत्र थे। इन्हीं में ब्रह्मा के मानस पुत्र भी हैं।
ब्रह्मा के मानस पुत्र : 1. मन से मरीचि, 2. नेत्र से अत्रि, 3. मुख से अंगिरस, 4. कान से पुलस्त्य, 5. नाभि से पुलह, 6. हाथ से कृतु, 7. त्वचा से भृगु, 8. प्राण से वशिष्ठ, 9. अंगुष्ठ से दक्ष, 10. छाया से कंदर्भ, 11. गोद से नारद, 12. इच्छा से सनक, सनंदन, सनातन और सनतकुमार, 13. शरीर से स्वायंभुव मनु और शतरुपा अंत में ध्यान से चित्रगुप्त।
*ब्रह्मा के प्रमुख 10 पुत्र : 1. अत्रि, 2. अंगिरस, 3. भृगु, 4. कंदर्भ, 5. वशिष्ठ, 6. दक्ष, 7. स्वायंभुव मनु, 8. कृतु, 9. पुलह, 10. पुलस्त्य। उक्त से धरती के 10 कुलों या कबीलों का निर्माण हुआ।
प्रजापति दक्ष की पत्नी : दक्ष की 2 पत्नियां थीं प्रसूति और अक्सिनी। प्रसूति स्वयांभुव मनु और शतरूपा की 3 कन्याओं में से तृतीय कन्या थी। दूसरी पत्नी अक्सिनी (वीरणी) पंचजन या वीरण प्रजापति की पुत्री थी। वीरण भी ब्रह्मा के पुत्र थे।
मनु की संतानें : स्वायंभुव मनु एवं शतरूपा के कुल पाँच सन्तानें थीं जिनमें से दो पुत्र प्रियव्रत एवं उत्तानपाद तथा तीन कन्याएँ आकूति, देवहूति और प्रसूति थे। आकूति का विवाह रुचि प्रजापति के साथ और प्रसूति का विवाह दक्ष प्रजापति के साथ हुआ। देवहूति का विवाह प्रजापति कर्दम के साथ हुआ। रुचि के आकूति से एक पुत्र उत्पन्न हुआ जिसका नाम यज्ञ रखा गया। इनकी पत्नी का नाम दक्षिणा था। कपिल ऋषि देवहूति की संतान थे।
ब्रह्मा के पुत्र दक्ष की कन्याएं : प्रसूति से दक्ष की 24 पुत्रियों श्रद्धा, लक्ष्मी, धृति, तुष्टि, पुष्टि, मेधा, क्रिया, बुद्धि, लज्जा, वपु, शांति, सिद्धि, कीर्ति, ख्याति, सती, सम्भूति, स्मृति, प्रीति, क्षमा, सन्नति, अनुसूया, ऊर्जा, स्वाहा और स्वधा का जन्म हुआ।
दक्ष की कन्याओं का संबंध : दक्ष ने अपने भाई मरीचि के पुत्र कश्यप से वीरणी से उत्पन्न अपनी 13 कन्याओं, धर्म से 10 कन्याओं का और चंद्रमा से 27 कन्याओं का विवाह कर दिया। इसके अलावा रति का कामदेव से, स्वरूपा का भूत से, स्वधा का अंगिरा प्रजापति से, अर्चि और दिशाना का कृशश्वा से विवाह कर दिया। विनीता, कद्रू, पतंगी और यामिनी का ताक्ष्य कश्यप से विवाह किया।
प्रसूति से दक्ष की 24 पुत्रियां में से 13 का विवाह धर्म से किया। ये 13 पुत्रियां हैं- श्रद्धा, लक्ष्मी, धृति, तुष्टि, पुष्टि, मेधा, क्रिया, बुद्धि, लज्जा, वपु, शांति, सिद्धि और कीर्ति। इसके बाद ख्याति का विवाह महर्षि भृगु से, सती का विवाह रुद्र (शिव) से, सम्भूति का विवाह महर्षि मरीचि से, स्मृति का विवाह महर्षि अंगिरस से, प्रीति का विवाह महर्षि पुलत्स्य से, सन्नति का कृत से, अनुसूया का महर्षि अत्रि से, ऊर्जा का महर्षि वशिष्ठ से, स्वाहा का पितृस से हुआ।
उल्लेखनीय है कि विष्णु का विवाह ब्रह्मा के पुत्र भृगु ऋषि की पुत्री लक्ष्मी से हुआ था और स्वयं ब्रह्मा ने अपनी पुत्री सरस्वती से विवाह किया था।
कौन थे कर्दम या कंदर्भ : कर्दम ऋषि की उत्पत्ति ब्रह्मा की छाया से मानी जाती है। इनका विवाह स्वायंभुव मनु की कन्या देवहूति से हुआ था। देवहूति ने 9 कन्याओं को जन्म दिया जिनका विवाह प्रजापतियों से किया गया था। देवहूति ने 'कपिल' नामक एक पुत्र को जन्म दिया, जो कि विष्णु के अवतार थे।
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प्रमुख देवता : धता, अर्यमा, पुलह, मित्र, वरुण, इन्द्र, विवस्वान, पूषा, क्रतु, अंशु, भग, त्वष्टा और विष्णु और 2 अश्विनी कुमार।